रांची(RANCHI):
झारखंड की राजधानी रांची में बन रहे फ्लाईओवर बेशक तरक्की की निशानी है. ये फ्लाईओवर इस बात के भी संकेत देते हैं की शायद आने वाले दिनों में शहर जाममुक्त हो सकता है. पर आलम ये है की राजधानी में बन रहा सिरमटोली फ्लाईओवर विवाद अब और तूल पकड़ता जा रहा है. दरअसल इसी साल मार्च के महीने से सिरमटोली फ्लाईओवर और सरना संगठनों के बीच विवाद तब शुरू हुआ जब फ्लाईओवर का निर्माण कर रही एलएनटी कंपनी ने केंद्रीय सरना स्थल के गेट के ठीक सामने रैंप उतार दिया था. ऐसे में सरना समिति के लोगों का कहना है कि केंद्रीय सरना स्थल के गेट के ठीक सामने सिरमटोली फ्लाईओवर के रैंप के उतरने से उनके गेट के सामने की जगह बेहद कम हो गई है. दरअसल सरना पर्व के दौरान झारखंड के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में खोड़़ा दल अपनी टोलियां लेकर आते हैं. टोलियों की संख्या बड़ी होती है और गेट के सामने जगह कम होने से पर्व के दौरान कोई अप्रिय घटना या भगदड़ मच सकती है.
इसी चिंता को लेकर कई आदिवासी संगठन एक हुए थे और पहले उन्होंने फ्लाईओवर रैम्प को हटाने की मांग की थी, वही जब कई अथक प्रयासों के बाद भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तब आदिवासी संगठनों ने सरकार का विरोध करना शुरू किया है. कई सारे धरने, कई बार अधिकारियों से मुलाकात, और भी कई सारी चीजें करने के बावजूद भी अभी तक न सरकार ने कुछ किया है और नाही कंपनी के द्वारा कोई पहल की गई है.
ऐसे में आज राजधानी रांची में देर शाम अल्बर्ट एक्का चौक पर मशाल जुलूस निकालने की तैयारी की गई है. वही कल यानि की 4 जून को झारखंड बंद का आवाहन किया गया है. इसका असर व्यापक तौर पर राजदहनी रांची में देखने को मिलेगा. साथ ही सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप विवाद, समेत आदिवासियों का धार्मिक स्थल मरांग बुरू, पारसनाथ शिखर जो गिरिडीह में स्थित है, लुगु बुरू, मुधर हिल्स जो पिठोरिया में स्थित है, दिउरी दिरी जो तमाड़ में स्थित है, और बेड़ो महदानी सरना स्थल को बचाने को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर झारखंड बंद का ऐलान किया है.
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