रांची(RANCHI): झारखंड में सरकार का दो ऐसा निर्णय अपने आप में उलझा हुआ है. एक ओर राज्य सरकार नशा के खिलाफ अभियान चला रही है. तो दूसरी ओर नई शराब नीति बना कर गाँव में शराब दुकान खोलने की तैयारी कर रही है. ऐसे में अब चर्चा और सवाल दोनों उठने लगा. आखिर जब शराब दुकान बढ़ेगी तो जाहिर है कि झारखंड में शराबियों की संख्या भी बढ़ेगी. तो फिर ये सरकार नशा के खिलाफ अभियान क्यों चला रही है. नशा तो हर तरह से खराब होता है. चाहे शराब हो या धूम्रपान या तंबाकू सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
शराब नीति में बदलाव
सबसे पहले बात शराब नीति की करेंगे. इसमें क्या बदलाव होने वाला है और क्या कुछ नया है. पहले एक प्रखण्ड में एक या दो शराब की दुकान होती थी. लेकिन नई शराब नीति के तहत पंचायत स्तर तक शराब दुकान खोलने की योजना है. इसके अलावा नई शराब नीति के तहत रात 11 बजे तक शराब दुकान खुलेगी.साथ ही दुकान में ही शराब पीने की व्यवस्था होगी.बैठ कर आराम से जाम छलका सकते है. साथ ही सभी शराब के दाम में भी कमी की जाएगी. जिससे बिक्री बढ़े और राजस्व में बढ़ोतरी हो सके.
इस साल चार हजार करोड़ का टारगेट
किसी भी राज्य की सरकार अपने राज्य के विकास के लिए राजस्व बढ़ाने का जुगाड़ करती है. अलग अलग तरीके से राजस्व बढ़ाने को फोकस करती है. जिससे राज्य विकास के पथ पर आगे बढ़ सके. कई योजना राज्य में चल रही है जिसे चलाने के लिए राजस्व बढ़ाना बेहद जरूरी है. वित्तीय वर्ष2024-25 में शराब से सरकार को करीब 2700 करोड़ की राजस्व प्राप्ति हुई थी. इस बार लक्ष्य 10 प्रतिशत बढ़ा बढ़ा कर 4 हजार करोड़ रखा गया है. यही वजह है कि शराब नीति में बदलाव किया गया है.
एक ओर शराब की बिक्री पर जोर दूसरी ओर नशा के खिलाफ बड़ा अभियान
अब यह बात हो गई राजस्व बढ़ाने की. दूसरी ओर इसी सरकार के द्वारा नशा के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है.यह किसी भी राज्य सरकार के लिए अच्छी बात है. नशा हर तरह का खराब होता है. चाहे शराब हो या तंबाकू. लेकिन इस नशे के खिलाफ अभियान पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है कि आखिर सरकार करना क्या चाह रही है.पहले शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए दुकान बढ़ा रही है. दूरी तरफ नशा के खिलाफ अभियान चला कर जागरूक कर रही है. इसपर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है. अखबार से लेकर न्यूज चैनल और शहर में बड़े बड़े होर्डिंग लगा कर नशा को ना कहने के लिए कहा जा रहा है.
सरकार की नीति साफ नहीं
सरकार की दो नीति पर सवाल उठने लगा है. लोग कह रहे है कि आखिर या तो पूरी तरह से नशा के खिलाफ सरकार मुहिम छेड़ दे और शराब को भी झारखंड में बैन कर दे. आखिर तंबाकू और धूम्रपान पर रोक और शराब का ठेका रात 11 बजे तक खोल कर शराब पिलाना यह समझ से बाहर की बात है. कई लोगों ने तो कहा कि जागरूकता के नाम पर करोड़ों का खेल खेला गया है और कुछ नहीं है. सरकार की नीति ही साफ नहीं है कि करना क्या है.
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