टीएनपी डेस्क(TNP DESK):झारखण्ड को प्रकृति ने खनिज संपदा से नवाजा है. यहां के कण-कण में लोहा कोयला का अंबार है. इस राज्य को खनिज संपदा से परिपूर्ण माना जाता है वही यहाँ कई ऐसे इलाके है जहां धरती के नीचे खजाना छिपा है. इनमे से एक इलाका ऐसा है जहां के चप्पे-चप्पे पर लोहे की खान मौजुद है. यह जगह कहीं और नहीं बल्की पूर्वी सिंहभूम के सारंडा में स्थित है.विशेषज्ञों की माने तो अगर लोहे के इन खानों को सही तरीके से खनन किया जाए और इस्तेमाल किया जाए तो ये राज्य ही नहीं बल्कि देश की भी किस्मत बदलने की ताकत रखता है.
सारंडा के जंगल में बहुत लम्बे समय से नक्सली संगठनों का दबदबा रहा है
सबसे दुख की बात यह है कि सारंडा में भले ही लोहे का अंबार है लेकिन यहाँ सबसे बड़ी बाधा नक्सलियों का कब्ज़ा है.सारंडा के जंगल में बहुत लम्बे समय से नक्सली संगठनों का दबदबा रहा है.जिसकी वजह से इसका उतना खनन नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए.आपको बतायें कि सारंडा में लोहा का खनन इस लिए भी नहीं हो पाता है क्योंकि स्थानीय लोग और मजदूर डर के साये में रहते है कि कहीं उनके ऊपर नक्सली हमला ना हो जाये.वही इसके पीछे का दूसरा करण यह भी है कि सरकार और प्रशासन भी यहां लोहे के खदानों के लिए कोई कदम नहीं उठा पा रही है.
यहां के लोहे से झारखंड के साथ देश की बदल सकती है किस्मत
अंदाज़ लगाया जाता है कि सारंडा में लोहा इतना भरपुर मात्रा में है कि अगर इसको सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जाए तो फिर झारखंड के साथ-साथ पुरे देश की किस्मत भी बदल सकती है और इसे झारखंड के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकते है और झारखंड से पलायन रोका जा सकता है. अगर यहां लोहे का खनन अच्छे से हो जाए तो फिर राज्य के विकास को नई दिशा मिल सकती है.लेकिन दुख की बात है कि इतनी खनिज होने के बावजूद झारखंड के लोग आज भी राज्य से बाहर मजदूरी करने के लिए जाते है.
क्या सरकार उठाएगी कोई कदम
अब यहां देखने वाली बात होगी कि झारखंड सरकार सारंडा को नक्सलियों के कब्जे से कब तक मुक्त कराती है और राज्य के युवाओं को रोजगार के साथ-साथ राज्य को तरक्की की एक नयी दिशा कब देगी.या फिर सारंडा में खनिज संपदा आने वाले समय तक भी यूं ही जमीन में दफन रहेगी.
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