रांची(RANCHI): 25 जून, सन1975 को देश में आपातकाल लगा था, जिसकी आज 50वीं वर्षगांठ है. ऐसे में हम सभी जानते है कि उस वक्त देश की क्या परिस्थिति थी. ऐसे में अब वर्ष 2014 से भी एक नया दौर, इस देश मे शुरू हुआ है जो अघोषित आपातकाल जैसा ही है. यह शब्द है जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य की. रांची स्थित जेएमएम कार्यालय में आज महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि इस दौरान लोग बैंकों के आगे लंबी लंबी कतारों में ठोकर खाते हैं, साथ ही कई लोगो की जानें गई, कई लोगो की नौकरी तक छीनी गई. साथ ही यह भी कहा गया था कि नोटबन्दी से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, और न जाने क्या क्या झूठे दावों को किये गए थे. 

सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि देश में किसानों के ऊपर, अघोषित आपातकाल लगाने की कोशिश हुई, 3 काले कानूनों को लाकर, 700 किसानों की मौत हुई और नतीजा यह हुआ कि केंद्र को तीनों काले कानून को वापस लेना पड़ा. इसके अलावा देश पर इतना बड़ा संकट पिछले दिनों पहलगाम में देखने को मिला और इसी आतंवाद को खत्म करने के लिए नोटबन्दी लाई गई थी जिसका नतीजा सबके सामने है.

केंद्र सरकार पर सीधे तौर पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना के दौरान एकाएक lockdown लगाया गया था, जिससे कई लोगों की असमय मौत हुई थी और तो और जब झारखण्ड ने केंद्र से अपना हक मांगा तो, हक देने में बजाय ईडी, सीबीआई सब को झारखंड के मुख्यमंत्री के पीछे लगा दिया जाता है.