धनबाद (DHANBAD) : सवाल बड़ा है कि क्या धनबाद सहित झारखंड में संचालित सभी सरकारी अस्पतालों में कितने का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट रजिस्ट्रेशन फेल है. इसका कोई आंकड़ा सरकार के पास है क्या? स्वास्थ्य विभाग क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को कड़ाई से लागू करने के लिए लगातार कोशिश करता रहता है. इसके लिए छापेमारी होती है, एक्शन होता है. लेकिन यह सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों तक ही सीमित रह जाता है. स्वास्थ्य विभाग अपने ही अस्पतालों में इसे लागू नहीं करवा पाता. बताया जाता है कि धनबाद जिले के सभी सरकारी अस्पतालों का क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन फेल है. इसमें धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अन्य केंद्र शामिल है. संचालित सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम, जांच घर समेत चिकित्सीय कार्य से जुड़े सभी संस्थाओं को क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत होना जरूरी है.
पंजीयन के बाद ही किसी संस्थान का संचालन किया जा सकता
पंजीयन के बाद ही किसी संस्थान का संचालन किया जा सकता है. प्राइवेट केन्द्रो पर इसे लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार छापेमारी करता है. दूसरी ओर अपने अधीन संचालित सरकारी अस्पतालों पर कोई ध्यान नहीं होता. अब तो प्राइवेट अस्पताल के संचालक इसके खिलाफ आवाज उठाने लगे है. उनका आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग उन पर तो सख्ती करता है, लेकिन सरकारी संस्थाओं की अनदेखी करता है. उनका कहना है कि उनसे सभी कागजात की मांग की जाती है. हर साल नवीनीकरण कराना होता है. लेकिन सरकारी अस्पतालों को कोई पूछने वाला नहीं है. दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामला उच्च अधिकारियों की जानकारी में है. इसको लेकर निर्देश दिए जा चुके है.
प्राइवेट अस्पतालों की तरह सरकारी चिकित्सीय संस्थाओं को भी कराना होता है
प्राइवेट अस्पतालों की तरह सरकारी चिकित्सीय संस्थाओं को भी क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का रजिस्ट्रेशन और हर साल नवीनीकरण करना होता है. सरकारी अस्पतालों का रिनुअल निशुल्क होता है. उन्हें सिर्फ सिविल सर्जन कार्यालय में जरूरी दस्तावेज के साथ आवेदन करना होता है. यह काम भी नियमित नहीं होता. वैसे भी स्वास्थ्य विभाग लोगों के निशाने पर रहता है. जिस हिसाब से लोगों को सुविधाएं मिलनी चाहिए, मिलती नहीं है. धनबाद में SNMMCH सबसे बड़ा अस्पताल है. बड़े तम-झाम से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ओपीडी की सेवा शुरू हुई थी. लेकिन दो-चार दिनों में ही यह सेवा ध्वस्त हो गई है. कारण इसके कई बताए जाते है. इधर, शनिवार को धनबाद जिला परिषद बोर्ड की बैठक में भी धनबाद का स्वास्थ्य विभाग निशाने पर था. धनबाद के सिविल सर्जन से जिला परिषद सदस्यों ने कई कड़े सवाल पूछे. कुछ आरोप भी लगाए.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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