धनबाद (DHANBAD) : कोयलांचल में मजदूर संगठन राजनीति का मजबूत हथियार होता है. यहां के मजदूर संगठनों में "गणेश परिक्रमा" का खेल भी खूब होता है. कभी किसी कर्मठ और जुझारू नेता को "दूध की मक्खी" की तरह संगठन से निकाल कर बाहर कर दिया जाता है, तो कभी नेता खुद संगठन को छोड़कर दूसरी यूनियन में चले जाते है. दरअसल, कोयलांचल में मजदूर संगठन के बिना किसी की राजनीति चमक नहीं सकती है. इसलिए मजदूर संगठनों की यहां भरमार है. मजदूर संगठन के नाम पर बहुत कुछ होता है. बीसीसीएल मुख्यालय से लेकर एरिया ऑफिस तक के अधिकारियों को यूनियन का डर दिखाकर मनमर्जी की जाती है. "गणेश परिक्रमा" का खेल जनता मजदूर संघ के टूट के बाद अधिक हो गया है.
सूर्यदेव सिंह गठित जनता मजदूर संघ अभी चार टुकड़ों में बंट गया है
सूर्यदेव सिंह गठित जनता मजदूर संघ अभी चार टुकड़ों में बंट गया है. जनता मजदूर संघ बच्चा गुट, जनता मजदूर संघ कुंती गुट, विधायक रागिनी सिंह के नेतृत्व वाली जनता श्रमिक संघ और रामधीर सिंह की बहू आसनी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता कामगार संघ कोयलांचल में काम कर रहे है. जनता मजदूर संघ की पहली टूट बच्चा गुट के रूप में हुई. फिर कुंती गुट काम करना शुरू किया. फिर जनता श्रमिक संघ बना, उसके बाद राष्ट्रीय जनता कामगार संघ का रजिस्ट्रेशन हुआ. इस तरह से एक ही परिवार की चार यूनियन चल रही है. दरअसल, जितने लोग इन चार यूनियनों से जुड़े हैं, वह मूल रूप से जनता मजदूर संघ के ही लोग है. लेकिन समय के साथ वह भी बदलते चले गए और जब भी यूनियन में उन्हें महसूस होता है कि उनकी पूछ घट रही है, तो तुरंत सिंह मेंशन परिवार के ही दूसरे गुट के यूनियन में चले जाते है. अक्सर देखा गया है कि बच्चा गुट के लोग छोड़कर कुंती गुट में गए. कुंती गुट के लोग छोड़कर बच्चा गुट में आये. कुछ लोग जनता श्रमिक संघ में गए तो कुछ लोग राष्ट्रीय जनता कामगार संघ का दामन थामा. बच्चा गुट की अध्यक्ष अभी पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह है.
इधर से उधर जाने का खेल अभी भी चल रहा
अभी हाल ही में कुछ लोग जनता मजदूर संघ को छोड़कर राष्ट्रीय जनता कामगार संघ में शामिल हुए है. धनबाद में संचालित मजदुर संगठनो की खासियत रही है कि प्रधनामंत्री हों या मुख्यमंत्री, कई धनबाद में संचालित मजदूर यूनियन के अध्यक्ष रह चुके है. देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी धनबाद कोयलांचल में संचालित मजदूर यूनियन के अध्यक्ष रहे थे. यह समय रहा होगा 1977 का. दरअसल, 1977 में जब सूर्यदेव सिंह राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ से अलग होकर अपना मजदूर संगठन जनता मजदूर संघ बनाया, तो इसके अध्यक्ष चंद्रशेखर को बनाया गया था. चंद्रशेखर के साथ सूर्यदेव सिंह के मधुर रिश्ते जग जाहिर थे.
चार साल तक पूर्व प्रधानमंत्री रहे था जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष
चंद्रशेखर चार साल तक जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रहे. सूर्यदेव सिंह महामंत्री थे और एके झा संयुक्त महामंत्री रहे. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह भी सूर्यदेव सिंह गठित जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रह चुके थे. 1977 में जब जनता मजदूर संघ का गठन हुआ तो संघ के सफल संचालन के लिए संयुक्त महामंत्री एके झा को महामंत्री के लिए अधिकृत कर दिया गया और यह यूनियन चल निकली. राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ से सूर्यदेव सिंह के अलग होने की कहानी भी रोचक बताई जाती है. कहा जाता है कि 1977 के आसपास राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के महामंत्री और पूर्व सांसद रामनारायण शर्मा की कुस्तौर में सभा हो रही थी. सभा करने के लिए सूर्यदेव सिंह ने मना किया था. क्योंकि कुस्तौर इलाका उनका गढ़ था. बावजूद सभा आयोजित हुई, इसके बाद सूर्यदेव सिंह के लोगों ने सभा स्थल पर पहुंचकर शामियाने की रस्सी काट दी. नतीजा हुआ कि भगदड़ मच गई और सभा में बिघ्न पैदा हो गया.
राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ से अलग होकर बनाये थे यूनियन
उसके बाद सूर्यदेव सिंह ने जनता मजदूर संघ का गठन किया. इस समय तक सूर्यदेव सिंह आर्थिक रूप से मजबूत हो गए थे और उन्हें अलग संगठन चलाने की इच्छा हुई. फिर तो समर्थकों की मदद से जनता मजदूर संघ का गठन हुआ और यह यूनियन कोयलांचल के इलाके में अपना दबदबा कायम करने में सफल रही. यह अलग बात है कि जब सूर्यदेव सिंह का पावर बढ़ा तो राष्ट्रीय कोयलारी मजदूर संघ कमजोर होने लगा. फिर तो बिंदेश्वरी दुबे बिहार के मुख्यमंत्री बने. वह इंटक के अध्यक्ष हुआ करते थे. उन्होंने इसका रास्ता खोजा और धनबाद में माफिया उन्मूलन अभियान की शुरुआत हुई. इसके लिए मदन मोहन झा को विशेष रूप से धनबाद का उपायुक्त बनाकर भेजा गया. मदन मोहन झा धनबाद में कार्यभार ग्रहण करने के बाद माफिया की एक सूची बनाई.
माफिया उन्मूलन अभियान में सूर्य देव सिंह का नाम सबसे ऊपर था
उस सूची में सूर्यदेव सिंह का नाम सबसे ऊपर था. उसके बाद उनके खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को एकत्रित किया गया और सुनवाई तेज हुई. यह यही वह दौर था जब सूर्यदेव सिंह को एक साल से अधिक समय तक लगातार जेल में रहना पड़ा था. बिंदेश्वरी दुबे के बाद भागवत झा आज़ाद बिहार के सीएम बने. उन्होंने भी कोयलांचल में माफिया उन्मूलन अभियान जारी रखने का निर्देश दिया. सूर्यदेव सिंह पहली बार 1977 में ही झरिया से विधायक चुने गए और उसके बाद लगातार चुने जाते रहे. बिहार के आरा से उन्होंने सांसद का भी चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव परिणाम आने के पहले ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. हालांकि चुनाव परिणाम आया तो वह चुनाव हार गए थे. उनकी मौत होने के बाद उनके भाई बच्चा सिंह जनता मजदूर संघ के महामंत्री बनाए गए. आज यह जनता मजदूर संघ कई टुकड़ों में बंट गया है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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