धनबाद (DHANBAD) : सेल की जीतपुर कोलियरी मात्र एक कोलियरी नहीं, बल्कि कोयलांचल का इतिहास भी है. 100 साल पुरानी यह कोलियरी है. इसकी गहराई 450 मीटर के करीब है. फिलहाल पानी रिसाव के कारण डीजीएमएस के आदेश पर प्रबंधन में कोलियरी को बंद कर दिया है. खदान में पड़े करोड़ों रुपए की संपत्ति को हटाने के लिए 29 मार्च 2025 को लगभग एक करोड रुपए का ठेका भी एक निजी कंपनी को दे दिया है. संवेदक ने 29 मार्च से खदान से सामान निकालने का काम शुरू कर दिया था. लेकिन उसके बाद इसका विरोध शुरू हो गया. मजदूरों ने डिमांड रख दी कि खदान को बंद करने का निर्णय वापस लिया जाए. बकाया राशि का भुगतान किया जाए.
डिमांड-फिर से कराया जाये भौतिक सत्यापन
कोलियरी संचालन के लिए फिर से इसका भौतिक निरीक्षण कराया जाए. इसके बाद समान निकालने का काम ठप है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस कोलियरी को चालू करना कठिन है. टाटा की बंद तीन कोयला खदानों के कारण जीतपुर कोलियरी को पानी से खतरा है. डीजीएमएस के निर्देश पर उक्त खदान को बंद किया गया है. इसके बाद सेल प्रबंधन ने सिम्फ़र से जीतपुर कोलियरी की जांच पड़ताल कराई. सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में स्थिति को सही नहीं बताया गया है. इसके बाद यह संभावना बढ़ गई है कि इस खदान को फिर से चालू नहीं किया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार जीतपुर के आसपास टाटा की तीन खदानें बंद हुई है. इन खदानों में पानी भर गया है.
टाटा की बंद तीन खदानों से हो रहा पानी का रिसाव
इससे जीतपुर कोलियरी भी प्रभावित है. बंद तीनों खदानों में पानी बढ़ने से जीतपुर कोलियरी में पानी का रिसाव हो रहा है. ऐसे में भूमिगत खनन सुरक्षा के ख्याल से खतरनाक हो सकता है. कहा तो यह भी जाता है कि टाटा की बंद तीन खदानों में अब कोयला नहीं के बराबर है, लेकिन जीतपुर कोलियरी में अब भी कोकिंग कोल का रिजर्व है. जीतपुर कोलियरी अगर चालू नहीं हुई तो सेल को भी झटका लग सकता है. फिलहाल बोकारो स्टील प्लांट के विस्तारीकरण की बात है. ऐसे में जीतपुर कोलियरी को बंद किए जाने से कोकिंग कोल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. कोकिंग कोल के लिए भारत कोकिंग कोल लिमिटेड पर दबाव बढ़ सकता है. जीतपुर कोलियरी की प्रतिदिन उत्पादन क्षमता 500 टन है और यह कोलियरी अपनी आंचल में इतिहास को समेटे हुए है. लेकिन अब वह इतिहास कागज के पन्नों में दर्ज होगा, इसकी संभावना बढ़ गई है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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