टीएनपी डेस्क (TNP DESK):- ज्यादा नहीं आज से दो दशक पहले को झांकिए आपको सूचना क्रांति की बानगी कुछ-कुछ ही दिखलाई पड़ती थी. टिकट के लिए रेलवे स्टेशन पर भीड़, बैंक में पैसे निकलने के लिए कतारे, किताब-कॉपी के लिए दुकानों पर निर्भर रहना, कागजी कार्रवाई के लिए ऑफिसों को चक्कर लगाना जैसी सामान्य बात थी. आज जब जमान डिजिटल हुआ तो यह झंझट खत्म हो गया. व्हाटसेप, फेसबुक, यूट्यूब औऱ तमाम सोशल मीडिया साइट और डिजिटिलाइजेशन ने एक आम इंसान की दुनिया ही बदल कर रख दी . कोई इंसान शायद ही कल्पना कर सकता था कि एक मोबाइल फोन से ही सारे काम हो जायेंगे. उन्हें न ऑफिस का चक्कर लगाने की झंझट है, और न ही मुलाजिमो की जी हुजूरी में वक्त जाया करना पड़ता है.
AI मनुष्यों की जगह ले लगा ?
जमाने ने जैसी-जैसी तरक्की की टेक्नोलॉजी भी अपना पांव पसारता गया. अब AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने के बाद एक अलग तरह की क्रांति और बहस छीड़ी हुई है. जहां बार-बार बताया जा रहा है कि इससे इंसानों की वेल्यू गिरेगी. अब सारा ही काम AI टेक्नॉलजी के जरिए ही होगा, सवाल तेजी से और हर रोज कही न कही चर्चा के केन्द्र में रहता है कि AI मनुष्यों की जगह ले लगा . ये आम इंसान की नौकरियां खा जायेगा . यह दोस्त नहीं बल्कि मनुष्य का दुश्मन है अभी भी ये अवधारण और तमाम तरह के विचार सामने आ रहे हैं.
दुनिया के तमाम टेक्नॉलिजी कंपनी के दिग्गज इसमे सहमत और असहमत भी दिखलाई पड़ते हैं. इन सवालों की उलझन में जवाब पक्ष औऱ विपक्ष में मिल रहे हैं. लेकिन गूगल और उसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई इसे लेकर बिल्कुल अलग राय रखते हैं औऱ खुलकर बोलते हैं. उनका मानना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का मकसद मनुष्यों की जगह लेना नहीं, बल्कि उन्हें और अधिक काबिल बनाना है. उनकी नजर में AI से डरने की नहीं उसे समझने की जरुरत है. सुंदर पिचई इस पर कहते है कि AI उपकरणों के जरिए इंजीनियर और अधिक अपनी योग्यता को बढ़ा सकते हैं. और अपनी ऊर्जा प्रभावशाली कामों मे लगा सकते हैं. क्योंकि AI उनके लिए एक सहायक होगा औऱ थकाऊ, दोहराव वाले कामों को आगे ले जाएगा. भारतीय मूल के सुंदर पिचाई की यह टिप्पणी इस हफ्ते सैन फ्रांसिस्को में आयोजित ब्लूमबर्ग टेक सम्मेलन में सामने आई, जहां उन्होंने AI और इसके भविष्य को लेकर तफसील से चर्चा की .
सुंदर पिचई की नजर में डरने की जरुरत नहीं
सुंदर पिचई उन तमाम शंकाओं और बहसों को भी अपने तर्क औऱ विचारों से शांत करते हुए दिखाई पड़ते हैं. जिसमे Anthropic के सीईओ डेरियो अमोडेई ने दावा किया था कि अगले पांच सालों में AI आधे से अधिक एंट्री-लेवल नौकरियों को खत्म कर देगा. इस पर भी पिचाई ने उनकी बातों को काटा नहीं बल्कि तर्क देकर बोला कि हम पिछले बीस सालों से ऐसी भविष्यवाणियां करते आए हैं कि तकनीकी औऱ ऑटोमेशन नौकरियां छीन लेगा. लेकिन हकीकत की जमीन पर उतरे तो ऐसा पूरी तरह से कभी नहीं हुआ . गुगल में एआई की भूमिका पर यह सवाल उठाये जाते रहे है कि क्या इस कंपनी के 1.8 लाख कर्मचारियों की फौज को आधा कर देगा. इस पर पिचई अपनी बात बेबक रखते हुए बोलते है कि अभी इंजीनियरिंग फेज से भी आगे ब़ढ़ेंगे और आने वाले सोलों में इसमे और बढ़ोत्तरी करेगी क्योंकि एआई हमे अधिक काम करने की क्षमता देगा.
तकनीकी खतरा नहीं बल्कि अवसर
AI के अलावा पिचाई ने अल्फाबेट की स्वायत्त वाहन परियोजना Waymo और Youtube की दुनिया में बढती लोकप्रियता के बारे में भी बात की. भारत में यूट्यूब की बढते विष्फोटक विस्तार को इसे एक प्रमुख अवसर बताया. उनकी नजर में इससे लोगों को काफी फायदा होगा. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के कई दिग्गज AI को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं. कईयों ने तो इसे इंसानों के लिए खतरानाक बताया. लेकिन, दुनिया के दिग्गज कंपनी सीईओ सुंदर पिचाई इसे खतरा नहीं मानते, बल्कि यह मनुष्य का साथी है, जो उनकी क्षमता को बढ़ाने वाल एक उपकरण जैसा है. उनकी सोच तो यही दर्शाती है कि इससे डरने की जरुरती नहीं बल्कि खुशी मनानी चाहिए एक इंसान के एक मददगार का अवतार हो गया है.
लाजमी है कि है कि बहुत सोच-समझकर और परखकर ही सुंदर पिचई ने ये बाते बोली , ऐसे ही तो उन्होंने नहीं बोल दिया होगा. अगर अपने तजुर्बे को देखे तो जब 1780 के दशक में ब्रिटेन में औधोगिकरण की शुरुआत हुई थी, तो लोग कहते थे कि मशीने इंसानों की नौकरी ले जाएगी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. वही जब कंप्यूटर पहली बार आया तो भी लोग कहने लगे की अब मनुष्यों की नौकरियां कंप्यूटर खा जायेगा. लेकिन, इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ, इंटरनेट का आगमन हुआ तो फिर एकबार हाय-तौबा मची . लेकिन आज हकीकत की जमीन को टटोले तो पायेंगे कि सारे डर, आशंकाए और फालतू के विचार एक कौने में सुस्ता रहे हैं. यह तमाम बाते फिजूल ही साबित हुई है. आज तो इसी के सहारे भारी तादाद में लोग काम कर रहे हैं. मशीने, कम्पूयटर औऱ इंटरनेट इंसान की जिंदगी आसान बनाई है. ये सभी सहायक औऱ मददगार के तौर पर इंसानों का साथदे रही है. इतना छोड़िए इंटरनेट के आगमन ने तो तरक्की के नये आयाम ही खोल दिया है. आज तो हालत ये है कि ये मजबूरी नहीं बल्कि इंसान की अवश्यकता बन गई है.
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