धनबाद(DHANBAD): क्या पूर्व आईपीएस अधिकारी और पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता रामेश्वर उरांव खुद के बयान से फंस गए हैं? क्या झारखंड सरकार को नसीहत देने के बाद उनकी पार्टी भी उनसे किनारा कर लिया है? क्या रामेश्वर उरांव की पूछ अब घट गई है? यह सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि रांची के सिमरटोली फ्लाईओवर  विवाद पर उन्होंने सरकार को नसीहत दी थी.  कहा था कि विरोध करने वाले समूह से बातचीत की जानी चाहिए थी.  पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने आंदोलन कर रहे लोगों के पक्ष में बयान दिया था. यह भी कहा था कि पूर्व की सरकार हो या वर्तमान, दोनों को आदिवासियों की भावना का ख्याल रखना चाहिए था.  

हमारी  आबादी सबसे अधिक है और हमारी एकजुटता ही हमारी ताकत है.  फ्लाईओवर के निर्माण से आदिवासी समाज की भावना आहत हुई है, और यह दर्द धीरे-धीरे सभी के दिलों में घर कर जाएगा.  दरअसल ,सिमरटोली फ्लाईओवर  का विवाद ख़त्म करने  में झारखंड सरकार ने चतुराई दिखाई.  गुरुवार को रांची के सिमरटोली फ्लाईओवर  का आनन् -फानन  में लोकार्पण कर दिया गया.  फ्लाईओवर रैंप  का विरोध की अगुवाई कर रही पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव के पिता के नाम पर ही फ्लावर का नाम रख दिया गया है. 

 फ्लाईओवर  का नाम बाबा कार्तिक  उरांव दिया गया है.  स्वर्गीय कार्तिक उरांव गीताश्री उरांव के पिता है. 
 इस फ्लाईओवर के खिलाफ गीताश्री उरांव ने आंदोलन का बिगुल  फूंक दिया है.  उनका कहना है  कि सरना स्थल के साथ नाइंसाफी की गई है. 
 वैसे भी 2019 से लेकर 2024 तक रामेश्वर उरांव झारखंड में वित्त मंत्री थे.  कांग्रेस में उनकी बड़ी पूछ  थी, लेकिन 2024 में जब नई सरकार बनी तो उनके मंत्री की कुर्सी चली गई है.  इधर, सरकार को नसीहत देकर रामेश्वर उरांव खुद झमेले में फंस गए है.  कांग्रेस के प्रभारी फिलहाल झारखंड के दौरे पर है.  कांग्रेस नई-नई स्कीम लांच कर रही है.  देखना है रामेश्वर उरांव की राजनीतिक पारी फिर से एक बार पटरी पर लौटती है या फिसलती  चली जाती है.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो