टीएनपी डेस्क: संथाल परगना का राजमहल लोकसभा सीट खासे  चर्च में है.  विजय हांसदा  क्या तीसरी बार बाजी मारेंगे या झारखंड मुक्ति मोर्चा के नाराज विधायक लोबिन  हेंब्रम उनका खेल बिगाड़ेंगे , यह सवाल सियासी  गलियारे में खूब तैर रहा है.  ताला मरांडी के सिर पर  ताज सजेगा  क्या, यह भी सवाल उठाए जा रहे है. राजमहल सीट  या यो कहे - दुमका, गोड्डा और राजमहल सीट  को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल  मरांडी की प्रतिष्ठा दांव  पर है, तो हेमंत सोरेन की गैर मौजूदगी में कल्पना सोरेन की भी अग्नि परीक्षा चल रही है.  इस सीट के लिए एनडीए और इंडिया ग ठबंधन दोनों ने ताकत झोंक राखी  है.  राजमहल लोकसभा क्षेत्र साहिबगंज और पाकुड़ जिले को मिलाकर बना है.  वोटिंग प्रतिशत इस लोकसभा में अच्छी रही है.  2019 में लगभग 74% वोटिंग हुई थी.  

छह में से पांच पर है इंडिया गठबंधन का कब्ज़ा 

राजमहल लोकसभा में छह  विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें पांच पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है तो एक पर भाजपा काबिज  है.  राजमहल लोकसभा  में राजमहल विधानसभा, बोरिया विधानसभा, बरहेट विधानसभा, लिट्टीपाड़ा विधानसभा, पाकुड़ विधानसभा, महेशपुर विधानसभा आते है.  राजमहल से फिलहाल भाजपा से अनंत ओझा  विधायक हैं तो बोरियों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर लोबिन हेम्ब्रम   चुनाव जीते है. बागी होकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे है.  बरहेट  से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधायक है. लिट्टीपाड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिनेश मरांडी विधायक हैं तो पाकुड़ विधानसभा से टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार हुए आलमगीर आलम विधायक है.  महेशपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर स्टीफन मरांडी विधायक है.  इस प्रकार कहा जा सकता है कि पांच विधानसभा   इंडिया गठबंधन के कब्जे में हैं तो एक पर बीजेपी का कब्जा है.  

हेमलाल मुर्मू की हो गई है है वापसी 

सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2014 और 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को चुनौती देने वाले हेमलाल मुर्मू फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा में चले आए है.  2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा को 3,  79,507 वोट मिले थे जबकि भाजपा के हेमलाल मुर्मू को 3,38,170 वोट प्राप्त हुए थे.  2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा  को 5 ,0  7,830 वोट मिले थे जबकि भाजपा के हेमलाल मुर्मू को 4 ,0  8,635 वोट प्राप्त हुए थे.  2014 और 2019 में विजय हांसदा  राजमहल लोकसभा सीट से सांसद रहे है.  2024 में भी वह किस्मत आजमा रहे है.  इधर भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी को राजमहल सीट से उम्मीदवार बनाया है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी विधायक लोबिन  हेंब्रम भी ताल ठोंक  रहे है. विजय हांसदा तो उम्मीदवार है ही.  सवाल उठता है कि क्या लोबिन  हेंब्रम विजय  हांसदा  के रास्ते को रोक पाएंगे? यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या लोबिन  हेंब्रम ताला मरांडी के मार्ग को प्रशस्त कर पाएंगे ? चुनाव का परिणाम तो 4 जून को आएगा, पहली  जून को अंतिम चरण में राजमहल में मतदान होगा.  राजमहल लोकसभा सीट से साइमन मरांडी, थॉमस हांसदा जैसे लोग सांसद रह चुके है.  फिलहाल पक्ष और विपक्ष दोनों दलों ने राजमहल लोकसभा सीट को लेकर ताकत झोंक  रखी है. 

मजबूत किले  को बचाना झामुमो के लिए चुनौती 
 
अपने  इस मजबूत किले  को बचाने के लिए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन जुटी है.  इसके साथ  प्रोफेसर स्टीफन मरांडी, दिनेश  मरांडी के साथ पार्टी और इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख नेता, मंत्री और विधायक सघन रूप से चुनाव प्रचार में लगे है.  लेकिन इस क्षेत्र के दो विधायक और इंडिया गठबंधन के दो कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के जेल में बंद रहने से कार्यकर्ताओं को दोनों की कमी खल रही है.  वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूरी रणनीति के साथ प्रचार अभियान में जुटा है.  बीजेपी  इस क्षेत्र में नया इतिहास रचने के लिए दिन रात पसीना बहा रही है.   निर्दलीय लोबिन हेम्ब्रम जल जंगल, जमीन की रक्षा, पत्थर व खनिज संपदाओं के घपले घोटाले पर अंकुश नहीं लगाने तथा खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू नहीं किये जाने को लेकर अपनी ही सरकार की खामियों को उजागर कर जनता से आशीर्वाद मांग रहे है.  

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो