Ranchi:धनबाद संसदीय सीट इन दिनों झारखंड की सबसे हॉट सीट के रुप में तब्दील हो चुकी है. जहां भाजपा के सामने अगड़ी जातियों को साधने की चुनौती है. पीएन सिंह का टिकट काटने के भाजपा ने ढुल्लू महतो को उम्मीदवार तो बना दिया. लेकिन मुश्किल यह है इस फैसले से राजपूत मतदाताओं में नाराजगी पसरती दिख रही है, इधर इंडिया गठबंधन ने इस नाराजगी को कैश करते हुए बेरमो विधायक अनुप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को भी मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है. कुल मिलाकर धनबाद के सियासी अखाड़े में इस बार बाहरी-भीतरी के साथ ही अगड़ा-पिछड़ा का खेल भी होता नजर आने लगा है और इसका लाभ ढुल्लू महतो को मिल सकता है.

अनुपमा सिंह को आगे कर अगड़ी जातियों की नाराजगी को कैश करने की कवायद

दूसरी ओर कांग्रेस की रणनीति अगड़ी जातियों की नाराजगी को कैश कर अनुपमा सिंह की राह को आसान बनाने की है. दोनों ही खेमे के अपने-अपने पैतरे और अपनी-अपनी रणनीति है. अनुपमा सिंह के समर्थकों का आरोप है कि ढुल्लू महतो ने कोयले की काली कमाई से विशाल साम्राज्य खड़ा किया है, उस पर जमीन लूट के भी अनगिनत मामले दर्ज हैं. तो इधर ढुल्लू महतो के समर्थक अनुपमा सिंह को बाहरी चेहरा बता रहे हैं. इस बात की हुंकार भर रहे हैं कि धनबाद की जनता खांटी झारखंडी चेहरे को संसद भेजने का काम करेगी. उनका सवाल है कि जिस कोयले की काली कमाई का आरोप लगाया जा रहा है, वह तो अनुप सिंह पर भी उतना ही लागू होता है. फिर सवाल सिर्फ ढुल्लू महतो की कमाई पर ही खड़ा क्यों किया जा रहा? क्या यह हमला सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ढुल्लू महतो एक पिछड़ी जाति से आता है. खांटी झारखंडी चेहरा है. और यही बात कांग्रेस को हजम नहीं हो रही. ढुल्लू महतो जब भाजपा के विधायक थें, तब यह सवाल क्यों नहीं खड़ा किया? यह सारे मामले तब क्यों उठाये जा रहे हैं, जबकि पीएन सिंह का टिकट काट कर उम्मीदवार बनाया गया है.

ढुल्लू महतो को लेकर भाजपा में विरोध के स्वर

दावे प्रतिदावे अपनी जगह, लेकिन इतना साफ है कि ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी को खुद भाजपा में भी पसंद नहीं किया जा रहा, और यही कारण है कि भाजपा को धनबाद विधायक राज सिन्हा को शो कॉज का नोटिस थमाना पड़ा. राज सिन्हा पर आरोप है कि वह ढुल्लू महतो के पक्ष में सियासी बैटिंग नहीं कर रहे. उनकी गतिविधियां संदेश के घेरे में हैं. राज सिन्हा को इसका जवाब देना है. राज सिन्हा का जवाब क्या होगा, यह तो राज सिन्हा जाने, लेकिन इतना साफ है कि ढुल्लू महतो की उम्मीदवारी को भाजपा के अंदर से ही चुनौती मिलती दिख रही है और भाजपा को अपने विधायकों को नोटिस थमाना की नौबत आ रही है.

कांग्रेस भाजपा दोनों में घात-प्रतिघात का खेल

राज सिन्हा को नोटिस थमाना ही इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि ढुल्लू महतो को लेकर भाजपा के अंदर भीतरघात का खेल चल रहा है. जिसकी भनक भाजपा के रणनीतिकारों को भी है. लेकिन इधर कांग्रेस की मुश्किल भी कुछ कम नहीं है. जिस अगड़ी जातियों के सहारे वह चुनावी बैतरणी को पार करने का सपना पाल रहा था. अब उसमें भी कई छेद नजर आने लगे हैं. खुद अगड़ी जातियों के अंदर भी अलग-अलग खेमेबंदी होती नजर आने लगी है और यह खेमेबंदी राजपूत बनाम भूमिहार की है. दावा किया जा रहा है कि धनबाद की सियासत में सक्रिय भूमिहार खेमा अनुपमा सिंह की उम्मीदवारी से खुश नहीं है. यानि भीतरघात का जो खेल भाजपा के अंदर चल रहा है, वही भीतरघात कांग्रेस के अंदर भी फल फूल रहा है. और शक की सुई राजधानी रांची के एक बड़े कांग्रेसी चेहरे की ओर है. इस खेमे की कोशिश अनुपमा सिंह के राह को मुश्किल बनाने की है, ताकि भविष्य की राजनीति में गुंजाइश बनी रहे. क्योंकि यदि अगड़ी जातियों की नाराजगी में अनुपमा सिंह चुनावी बैतरणी पार कर जाती है, तो आने वाले चुनाव में उनकी सियासी यात्रा पर ताला लग सकता है. फिर अनुपमा सिंह की उम्मीदवारी को खारिज करना बेहद मुश्किल होगा और यह सियासी आत्महत्या के समान होगा.

सियासी अखाड़े में पर्दे के पीछे का खेल

इस हालात में धनबाद के सियासी अखाड़े में जितनी सियासत पर्दे के बाहर हो रही है, उससे अधिक सियासत बंद कमरे में हो रही है. हर सामाजिक समूह के अंदर बैठकों का दौर जारी है. हालांकि इस बीच केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की इंट्री भी हो चुकी है, उनकी कोशिश राजपूत मतदाताओं को भाजपा के साथ खड़ा करने की है. ताकि भाजपा को अपने ही किले में ही हार का सामना नहीं करना पड़े. देखना होगा कि राजनाथ सिंह की कोशिश कितनी रंग लाती है. लेकिन कुल मिलाकर धनबाद की सियासत में अभी कई रंग खिलने बाकी हैं.  

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