टीएनपी डेस्क (TNP DESK): सारंडा वन क्षेत्र को वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी बनाने के सरकार के फैसले के खिलाफ स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है. “सारंडा बचाओ समिति” ने इस निर्णय को आदिवासियों के अधिकारों पर हमला बताया है और 16 नवंबर को आर्थिक नाकेबंदी का ऐलान किया है.
रविवार को छोटानागरा के जमकुंडिया नयाबाजार में प्रतिनिधि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की गई. बैठक की अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी बुधराम लागुरी ने की. उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सारंडा को सैंक्चुअरी घोषित करने का फैसला वापस नहीं लिया, तो न रेल से और न सड़क मार्ग से एक भी ढेला खनिज बाहर जाने दिया जाएगा.
बुधराम लागुरी ने कहा कि सारंडा को सैंक्चुअरी घोषित करने से पहले राष्ट्रपति और राज्यपाल से अनुमति लेना जरूरी है, क्योंकि यह इलाका संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में बिना स्थानीय सहमति और जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) की मंजूरी के ऐसा निर्णय लेना संविधान के विरुद्ध है.
सभा में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार यह फैसला जल्दबाजी और साजिश के तहत ले रही है. इससे यहां के आदिवासी अपने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों से वंचित हो जाएंगे.
बैठक में यह भी निर्णय हुआ कि कोल्हान-पोड़ाहाट और सारंडा के संरक्षण के लिए “कोल्हान-पोड़ाहाट सारंडा बचाओ समिति” नामक संयुक्त संगठन बनाया जाएगा. इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा करना होगा.

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