जमशेदपुर (JAMSHEDPUR): गुजरात के अहमदाबाद में 36वें राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में जमशेदपुर की बेटी कोमोलिका ने रजत और कांस्य पदक हासिल कर झारखंड का नाम रौशन किया है. कोमोलिका बारी पर आज झारखंड वासियों को नाज है.  झारखंड और जमशेदपुर की बेटी कोमोलिका के माता-पिता ने संघर्ष के साथ बेटी का हौसला बढ़ाया है. यहां तक कि बिरसा नगर जमशेदपुर में अपने मकान को बेचकर बेटी को तीरंदाजी के क्षेत्र में आगे बढ़ाया. माता-पिता ने बेटी को खेल में बढ़ावा देने के लिए कठिन संघर्ष किया, लेकिन वो संघर्ष के दर्द से ज्यादा उन्हें बेटी की कामयाबी पर गर्व है.

कौन है कोमोलिका बारी
कोमोलिका बारी झारखंड के जमशेदपुर की रहने वाली हैं और उन्‍होंने 2012 में आइएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की थी. तार कंपनी में 4 सालों तक मिनी और सब-जूनियर वर्ग में शानदार प्रदर्शन के बाद कोमोलिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला था. टाटा आर्चरी एकेडमी में उन्‍हें द्रोणाचार्य के रूप में पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षकों ने तीरंदाजी के गुर सिखाए. बीते चार सालों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं. 

मां-बाप ने बेटी के सपनों को लगाई पंख

कभी चाय की दुकान तो कभी एलआइसी एजेंट का काम करने वाले कोमालिका के पिता घनश्याम बारी ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया था. उनके पिता ने तीन लाख रुपयों में धनुष खरीदने के लिए अपना घर बेच दिया था. उनका सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें. वहीं कोमोलिका की मां लक्ष्मी बारी एक आंगनबाड़ी सेविका थी, लेकिन अब घर पर ही हैं.  कोमोलिका की मां चाहती थीं कि उनकी बेटी तीरंदाजी को अपने करियर बनाएं और इस क्षेत्र में उनका नाम रोशन करें. अपने मकान बेचे जाने पर लक्ष्मी बारी बताती है की दुख तो है, लेकिन बेटी को तीरंदाजी में आगे बढ़ाने के लिए रुपयों की जरूरत थी और इसीलिए घर बेचकर रुपयों को इकट्ठा किया. आज वह बेहद खुश है, क्योंकि उनकी बेटी आगे बढ़ रही है. बेटी का भी सपना है कि ओलंपिक गेम में भारत नाम रोशन करें.

ओलंपिक का सपना

कोमोलिका बारी का सपना है कि वह ओलंपिक खेले और परिवार के साथ-साथ भारत का नाम रौशन करें. फिलहाल, टाटा स्टील की ओर से कोमोलिका टाटा जेआरडी स्टेडियम में तीरंदाजी की अभ्यास में लगी है. 

रिपोर्ट: रंजीत ओझा, जमशेदपुर