सिमडेगा(SIMDEGA): भारतीय फुटबॉल महासंघ ने दो दिन पूर्व फीफा अंडर-17 महिला फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए भारतीय फुटबॉल टीम की घोषणा की है. इस भारतीय टीम में झारखंड के 06 खिलाड़ी चयनित किए गए हैं. इन छह खिलाड़ियों में सिमडेगा जिला के जामबहार निवासी पूर्णिमा कुमारी भी शामिल है. पूर्णिमा सिमडेगा जिला के ठेठाईटांगर प्रखंड अंतर्गत तुकुपानी  पंचायत के जामबहार की रहने वाली है. पूर्णिमा के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है. पूर्णिमा की मां बचपन में मर चुकी है. उसके बाद पूर्णिमा का लालन-पालन बुजुर्ग पिता जीतू मांझी और बड़ी बहन सन्माइयत कुमारी ने किया है. पूर्णिमा का घर आज भी कच्चा और खपड़े का है. घर में आज भी उन्हें सही से खाना नहीं मिल पाता है.  

2017 में पूर्णिमा को मिला हॉकी का साथ

वहीं, पूर्णिमा को बचपन से ही खेल के प्रति काफी लगाव था. फुटबॉल और हॉकी दोनों वह खेला करती थी. बचपन में जब जामबहार स्कूल में पढ़ाई करती थी, उस समय उसके खेल की प्रतिभा को देखकर शिक्षक जगन और सहदेव मांझी ने उसे काफी कुछ मार्गदर्शन दिया. साल 2017 में हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी और फुटबॉल कोच बिना केरकेट्टा के द्वारा गैर सरकारी व्यक्तिगत स्तर से फुटबॉलर और एथलेटिक्स खिलाड़ियों का चयन ट्रायल सिमडेगा में रखा गया था, जिसमें पूर्णिमा सहित कई खिलाड़ियों ने भाग लिया. जिसने पूर्णिमा और कुछ अन्य खिलाड़ियों के प्रतिभा को देखकर मनोज कोनबेगी ने आवासीय फुटबॉल प्रशिक्षण केंद्र हजारीबाग की कोच निधि सिंह से बात कर उसे हजारीबाग भेजा. वहीं, कोच निधि ने पूर्णिमा में छुपी प्रतिभा को देखकर सेंटर में रखा और आगे बढ़ाया, जिसके बाद पूर्णिमा इंडिया टीम के कैंप के लिए चुनी गई.

2019 में जूनियर भारतीय महिला फुटबॉल टीम में ली भाग

वहीं, साल 2019 में पूर्णिमा ने पहली बार भूटान दौरे पर जूनियर भारतीय महिला फुटबॉल टीम की ओर से भाग लिया. जिसके बाद पूर्णिमा ने कई और प्रतियोगिताओं में जूनियर भारतीय फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व किया. लॉकडाउन के दौरान भी हॉकी सिमडेगा के मनोज कोनबेगी और कमलेश्वर मांझी ने पूर्णिमा के घर जाकर उसके वास्तविक स्थिति से रूबरू होते रहे और उसे उचित मार्गदर्शन भी देते रहें.

पूर्णिमा फीफा वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई

वहीं, अभी पूर्णिमा वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चुनी गई है. पिता जीतू मांझी बीमार चल रहे हैं. उनके इलाज के लिए उचित पैसे भी नहीं है. आपको बता दें कि साल 2019 भूटान दौरे से पहले भी एक प्रतियोगिता के लिए पूर्णिमा कुमारी को जूनियर भारतीय महिला फुटबॉल टीम में चुने जाने का मौका मिला था. लेकिन सही समय में पासपोर्ट नहीं मिल पाया, जिस कारण उसका वीजा नहीं बन पाया था. पूर्णिमा विपरीत हालात से निकली देश की एक होनहार फुटबॉल खिलाड़ी है और वह विपरीत हालात में रह रहे अन्य लोगों के लिए प्रेरणा दायक है. पूर्णिमा के जज्बे को सलाम.

रिपोर्ट: अमित रंजन, सिमडेगा