पटना : चर्चित कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार की राजधानी की बिजनेस बिरादरी को झकझोर दिया है। लेकिन इस हाई-प्रोफाइल मर्डर केस के पीछे जिस शख्स का नाम उभरा है, वह इस हत्या को एक साधारण आपराधिक घटना से कहीं अधिक गहराई और साजिश की परतों में ले जाता है। नाम है ,अशोक साव, जो अब इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
पुराना अपराधी, नया चेहरा
अशोक साव कोई नया नाम नहीं। इससे पहले भी उसका नाम पटना के दो चर्चित हत्याकांड , मनोज कमलिया केस और टेकरीवाल हत्याकांड — से जुड़ चुका है। दोनों बार जांच हुई, पूछताछ हुई, लेकिन वह बच निकलता रहा। वजह? उसके रसूखदार संपर्क। बताया जाता है कि वह सत्ता के एक बेहद प्रभावशाली चेहरे के 'वित्तीय मैनेजर' के संपर्क में था, इतना करीबी कि पुलिस और प्रशासन भी उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई से कतराते रहे।
रईसी के पीछे अपराध का जाल
अशोक साव की जिंदगी जितनी चकाचौंध में लिपटी थी, उतनी ही रहस्यमयी भी। उसका कोई स्थायी ठिकाना नहीं था। पटना के कुख्यात शूटरों से उसके संबंध थे। जेल में बंद अपराधियों से लेकर प्रॉपर्टी डीलरों तक, उसकी पहुंच हर जगह थी। उसके लिए ‘साम, दाम, दंड, भेद’ सब जायज़ थे।
खेमका से टकराव: दुश्मनी की शुरुआत
अशोक और गोपाल खेमका के रिश्तों में खटास तब आई जब एक विवादित प्रॉपर्टी को लेकर दोनों के बीच तनातनी बढ़ गई। खेमका ने अशोक को बांकीपुर क्लब की रेगुलर मेंबरशिप दिलाने से इनकार कर दिया। क्लब परिसर में दोनों के बीच खुलेआम बहस और बदतमीजी हुई। यहीं से दुश्मनी ने खतरनाक मोड़ लिया।
हिमगिरी अपार्टमेंट: अपराध की वर्कशॉप
पटना के पॉश इलाके में स्थित हिमगिरी अपार्टमेंट का फ्लैट नंबर 601, अशोक साव का ठिकाना नहीं बल्कि अपराध की वर्कशॉप बन चुका था। यहीं बैठकर वह विवादित जमीनों के सौदे, डीलिंग, और धमकी भरे मोलभाव करता था। पुलिस को यहां से कई फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग, और जमीन के विवादों से जुड़े कागजात मिले हैं।
डॉक्टरों और कारोबारियों का 'काला इन्वेस्टमेंट'
जांच में यह भी सामने आया कि अशोक साव जानबूझकर विवादित जमीनों में बड़े डॉक्टरों और बिजनेसमैन का पैसा लगवाता था। विवाद बढ़ने पर वह अपने क्रिमिनल नेटवर्क के जरिए उसे 'सेटल' कराता। बदले में मोटी कमाई। पुलिस के हाथ लगे उसके मोबाइल और लैपटॉप में करोड़ों के लेन-देन का हिसाब-किताब मिला है।
अब जब मास्टरमाइंड पकड़ा गया है
गोपाल खेमका की हत्या केवल एक कारोबारी दुश्मनी नहीं, बल्कि पैसे, पावर और अपराध के गठजोड़ का खौफनाक उदाहरण है। अशोक साव जैसे सफेदपोश अपराधी, जो सत्ता की छांव में पलते हैं, आज कानून-व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं।अब जबकि अशोक साव पुलिस की गिरफ्त में है, सवाल यह उठता है , क्या जांच एजेंसियां सिर्फ व्यक्ति को पकड़ने तक सीमित रहेंगी या उस पूरे नेटवर्क की जड़ तक जाएंगी जो वर्षों से इस अपराध साम्राज्य को चला रहा था?
Recent Comments