भारत के गगनयान मिशन में अब ऑस्ट्रेलिया भारत का साथ देगा. इस मिशन के दौरान अपने कोकोस कीलिंग द्वीप के माध्यम से इसे ट्रैक करने में ऑस्ट्रेलिया भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की मदद करेगा. इस बात कि जानकारी ऑस्ट्रेलिया स्पेस एजेंसी के डेप्यूटी हेड एंथनी मर्फेट ने खुद दी. इस साल की शुरुआत में इसरो चीफ के. सीवन ने कहा था कि इसरो ऑस्ट्रेलिया से लगातार बातचीत कर रहा है ताकि गगनयान मिशन के लिए भारत कोकोज कीलिंग आइलैंड पर एक ग्राउन्ड स्टेशन बना सके. 

इसरो को आखिर कोकोस कीलिंग द्वीप पर ग्राउन्ड स्टेशन बाने की जरूरत क्यों पड़ी?

पृथ्वी पर बने ग्राउन्ड स्टेशन से अगर सैटेलाइट को स्पष्ट दृश्य नहीं मिलेगा तो सैटेलाइट किसी प्रकार का कोई सूचना ग्राउन्ड स्टेशन तक नहीं भेज पाएगा. डाटा रीले सैटेलाइट का उपयोग सैटेलाइट की सूचनाओं को भेजने के लिए किया जाता है. अगर सूत्रों कि मानें तो भारतीय क्षेत्र में बने ग्राउन्ड स्टेशन पर कुछ ब्लाइन्ड स्पॉट हैं, जिसके कारण सिग्नल खोने की संभावना है. कोकोस आइलैंड पर ग्राउन्ड स्टेशन बनाने से इस संकट को दूर किया जा सकता है. जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया भारत का साथ देगा. 

गगन यान मिशन की घोषणा कब हुई थी?

गगनयान मिशन की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2018 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया गया था. इसे 2022 की शुरुआत मे ही आजादी के 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर लॉन्च करना था लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इसमें देरी की गई. बीते दिन केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया की इस मिशन को 2022 के अंत मे या 2023 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा.  इस गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य एक भारतीय गगनयान पर मनुष्यों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करना है. 

रिपोर्ट: प्रकाश, रांची डेस्क