धनबाद (DHANBAD) -  साल '2021, इस साल के कई रंग लोगों ने देखे. कोरोना की वजह से घर से बाहर निकलने के लिए लोग तड़प गए. पढ़ाई- लिखाई बाधित हुई. कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी.  शायद कोई ऐसा नहीं बचा होगा जिसके कोई परिचित या संबंधी असमय काल के गाल में नहीं समा गए होंगे.  वहीं साल' 2021 अब जाने को है.  लोग चाहते हैं कि सभी दुश्वारियों को वह भूल जाएं.  साल 2021 के अंतिम दिनों में धनबाद के पिकनिक स्पॉट चहक रहे हैं.  इलाका पूरी तरह से गुलजार हैं. दुकानदारी लगाने वाले भी खुश हैं कि चलो उनकी आमदनी तो हो रही है.

धनबाद शहर का बिरसा मुंडा पार्क

हम अगर धनबाद शहर की बात करें तो धनबाद में सबसे महफूज स्थान बिरसा मुंडा पार्क है, जो कि शहर से केवल 6 किलोमीटर दूर है. यहां पूरी व्यवस्था की गई है. 10 साल पहले इस पार्क का निर्माण हुआ था.  कोरोना का कहर इस बात पर भी पड़ा, कुछ सरकारी खामियों के कारण पार्क का सौन्द्रीयकरण कुछ दिनों के लिए रुक गया था. लेकिन अब फिर से बहाल  हो गया है. परिसर बहुत बड़ा है, टॉयज ट्रेन, कोकोडायल ,फाउंटेनपार्क आदि इसकी विशेषता है.  भारी संख्या में लोग यहां जुटते  हैं.  अनुमान है कि साल के अंतिम दिन यहां भीड़ 10,000 से भी अधिक होगी. 

बेकार बांध का राजेंद्र सरोवर

 बेकार बांध का राजेंद्र सरोवर भी एक स्थान है ,जहां बच्चे -परिवार के साथ घूम -फिर सकते हैं.  वैसे गोल्फ  ग्राउंड भी 29 दिसंबर से खुल जाएगा, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसका ऑनलाइन उद्घाटन करेंगे. 

पुटकी का भटिंडा फॉल

इसके अलावा अगर शहर के नजदीक किसी पिकनिक स्पॉट की बात की जाए तो पुटकी का भटिंडा फॉल जेहन में दौड़ने लगता है, हालांकि यह खतरनाक बहुत है.  इसमें  में सात खटिया नाम से एक ऐसी जमीन के भीतर जगह है, जहां अगर फिसल कर आप पहुंच गए तो जिंदा बचना बहुत ही मुश्किल है.  हालांकि इस को नैसर्गिक छटा मिली है.  देखने में काफी खूबसूरत है.  प्रशासन ने अपनी ओर से बैरिकेडिंग भी की है लेकिन लोग खुशियों से झूमते हुए डेंजर जोन में भी बढ़ जाते हैं और घटनाए  हो जाती हैं, साल में दो तीन बार तो घटनाएं होती ही रहती हैं. 

धनबाद से 50 किलोमीटर दूर मैथन डैम

थोड़ा दूर चले तो धनबाद से 50 किलोमीटर दूर मैथन डैम है, यहां भी प्रकृति ने अपनी झोली  की तमाम खूबसूरती दी है, वोटिंग से लेकर अन्य सारी सुविधाएं हैं.  डीवीसी और जिला प्रशासन यहां की व्यवस्थाओं को देखता है.  कुछ परेशानियां भी हैं. जैसे अगर आप खाना खाना चाहे तो थोड़ी दूर चलना  होगा. गाड़ियों को 2 किलोमीटर दूर ही पार्किंग करनी पड़ेगी और आपको पैदल जाना होगा.  जाने वालों को इसकी तैयारी करके ही जाना  चाहिए. 

धनबाद से करीब 55 किलोमीटर दूर तोपचांची झील

अब थोड़ा और विस्तार दें तो अंग्रेजों के जमाने का बना धनबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर तोपचांची झील है.  अंग्रेजों ने प्रकृति की खूबसूरती के अलावे अपनी ओर से भी बहुत कुछ जोड़ा था.  लेकिन अब  स्थिति बहुत अच्छी नहीं है.  कानून- व्यवस्था को लेकर झील के अंदर तक नहीं जाया जा सकता है.  इस झील की  यह खासियत है कि यह काफी ऊंचाई पर है और बिना मोटर के ही पानी धनबाद के केंदुआ करकेंद्र, कतरास तक पहुंच जाता है.  यहां का टिल्टिंग गेट अंग्रेजों के जमाने का है और उसकी अपनी एक खासियत है. पिकनिक स्पॉटों में टुंडी के भटिंडा फॉल का भी नाम गिनाया जाता है. कुल मिला जुला कर कहा जाए तो धनबाद  पुराने साल की विदाई और नए साल के आगमन को लेकर काफी उत्साहित हैं लेकिन यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि कोरोना अभी गया नहीं है.  धनबाद में मरीजों की संख्या धीरे-धीरे ही सही लेकिन बढ़ रही है.  प्रशासन एहतियात के कदम उठा रहा है. लेकिन मानना तो हम सबको ही है.इसलिए सावधानी जरूरी है.

रिपोर्ट : अभिषेक कुमार सिंह ब्यूरो चीफ, धनबाद