दुमका (DUMKA) - कोरोना के दो साल बाद इस साल बाबा बासुकीनाथ धाम में भी श्रावणी मेला का आयोजन किया जाएगा. जिसकी तैयारी में दुमका जिला प्रशासन जोर-शोर से लगा है. लेकिन इस तैयारी में वर्षों से बाबा के दरबार में धरना देने वाले सैकडों श्रद्धालूओं पर संकट छा गया है, जिससे उनमें दुमका डीसी के प्रति भारी नाराजगी है.  दरअसल, ये धरनार्थी बाबा मंदिर के परिसर में जिस जगह पर अपना आशियाना बना कर दिनरात बाबा की सेवा में लगे रहते हैं, उस जगह से उन्हें हटाने का फरमान डीसी ने जारी किया है. 

धरनार्थियों की गुहार

धरनार्थियों का कहना है कि जब बाबूलाल मरांडी की सरकार थी, तब उनके रहने के लिए संस्कार मंडप दिया गया था. जहां वे लोग रहने लगे थे. मगर श्रावणी माह के आरंभ होते ही श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के लिए उन्हें वहां से हटा दिया गया और शिवगंगा सरोवर के ऊपर बने गोल घरों में रहने को कहा गया है. जहां वो लोग शांति से रहने लगे और महादेव की सेवा में लग गए. मगर इस वर्ष फिर से श्रावणी माह की तैयारियों को ले कर उन्हें जगह खाली करने को कहा जा रहा हैं.

क्यों देते हैं धरना

बता दें कि बासुकीनाथ धाम में धरना देने की प्रथा सदियों से चली आ रही है. बासुकीनाथ धाम में धरना वो लोग देते हैं जिनको कोई बीमारी हो चिकित्सा के बाद भी ठीक न हुआ हो या वैसे लोग जो बसु के दरवार में अपनी मन्नतें ले कर आते हैं. ऐसे लोग तब तक भोले की सेवा में लगे रहते हैं जब तक महादेव उन्हें स्वप्न नहीं दे देते. या उनकी  मिन्नतों को पूर्ण नहीं कर देते हैं. ये धरनार्थि ही हैं जो पूरे बासुकीनाथ मंदिर ओर शिवगंगा घाट की साफ सफाई करते हैं, वो भी निःशुल्क.  इन धरनार्थियों के रहने के लिये सरकार को मंदिर ट्रस्ट को एक स्थाई व्यवस्था करनी चाहिए.

रिपोर्ट : सुतिब्रो गोस्वामी, दुमका