सीतामढ़ी(SITAMADHI): देश की गौरवशाली अतीत और इसकी संस्कृति को लेकर हमें गर्व है. सनातन हिन्दू धर्म को लेकर अब पूरे विश्व में उसका डंका बजने लगा है. हिन्दू संस्कृति और उसकी परम्परा को लेकर पूरे विश्व में चर्चा होने लगी है. शायद यह एक बड़ी वजह है कि अब युरोपियों देशों के लोगों में भी हिन्दू धर्म को लेकर आस्था देखने को मिल रहा है. सात समुन्दर पार से सैकड़ों की तादाद में नार्वे, अमेरिका, रुस, इग्लैन्ड, नीदरलैन्ड और यूरोप से लोग सीतामढ़ी पहुंचे. जहां उन्होंने माता जानकी की जन्मस्थली का न सिर्फ दर्शन किया बल्कि मंदिर में जाकर उनकी पूजा अर्चना भी की. हिन्दु लिबास में कांटेन की साड़ी में विदेशी महिलायें यहां मौजूद दिखाई दी. उन्होंने भगवान राम और माता सीता को लेकर बड़ी बारिकियों से जानकारी ली. रामायाण का क्या महत्व है और माता सीता की पावन धरती का इससे क्या जुड़ाव है इस बात की जानकारी विदेशी लोगों ने ली. उस उर्विजा कुंड का भी विदेशी सैलनानियों ने परिक्रमा की जहां धार्मिक मान्यता यह है कि राजा जनक ने जब हल चलाया था तो धरती के गर्भ से माता सीता यहीं से प्रकट हुई थी.
यह भी पढ़ें:
कोरोनाकाल के दो साल बाद कौशिकी अमावस्या पर तारापीठ मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़, मां को लगी 56 भोग
माता सीता का जन्म
मान्यताओं और रामायण के अनुसार, त्रेतायुग में एक बार मिथिला नगरी में भयानक अकाल पड़ा था. कई सालों तक बारिश न होने से परेशान राजा जनक ने पुराहितों की सलाह पर खुद ही हल चलाने का निर्णय लिया. जब राजा जनक हल चला रहे थे तब धरती से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थीं. इस जगह पर माता सीता ने भूमि में से जन्म लिया था, इसलिए इस जगह का नाम सीतामढ़ी पड़ गया.
Recent Comments