टीएनपी डेस्क (TNP DESK): राज्य की पुलिस इन दिनों लगातार सवालों के घेरे में फंसती जा रही है. अब हाल ही की बात ले लीजिए, राज्य के दरोगा पुलिस के कई किस्से सुनने को मिलते हैं. कभी पुलिस के जवान राह चलते MR पर लाठी-डंडे बरसा देते हैं, तो कभी दरोगा जी को मुफ्त की मीट ना देने पर दुकान संचालक को झूठे मुकदमे में फंसा देते हैं. पर बात सिर्फ मुकदमे तक नहीं रुकी, बल्कि बात आर्म्स एक्ट तक पहुंच चुकी है. मामला पतरातू से सामने आया है, जहां मीट दुकान संचालित करने वाले राजेश साव पर पुलिस पदाधिकारियों को मुफ्त में मीट न देने के कारण कथित रूप से आर्म्स एक्ट का झूठा मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है. इस मामले में आरोपी की पत्नी जांच की मांग कर रही है, जबकि पुलिस का दावा है कि युवक को रात में ‘योजना बनाते’ हुए पकड़ा गया है. पत्नी का कहना है कि उसके पति को फोन कर थाने बुलाया गया था, जिसके बाद से महिला के पति को झूठे केस में फंसाया जा रहा है.
मामले पर नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट कर लिखा है, "झारखंड में कुछ पुलिस अधिकारी कानून को अपनी निजी रंजिशें निकालने का माध्यम बना चुके हैं. कोई अधिकारी बिहार में अपने पारिवारिक जमीन विवाद को लेकर विपक्षी पक्ष पर झारखंड में झूठा मुकदमा दर्ज कर रहा है, तो कोई मुफ्त में मीट न देने पर दुकानदार पर फर्जी केस थोप रहा है.
पतरातू में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां मीट दुकान संचालित करने वाले राजेश साव पर पुलिस पदाधिकारियों को मुफ्त में मीट न देने के कारण कथित रूप से आर्म्स एक्ट का झूठा मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया. इस मामले में आरोपी की पत्नी जांच की मांग कर रही है, जबकि पुलिस का दावा है कि युवक को रात में ‘योजना बनाते’ हुए पकड़ा गया. पत्नी का कहना है कि उसके पति को फोन कर थाने बुलाया गया था. ऐसे विरोधाभास खुद पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. हेमंत सोरेन द्वारा विरोधियों पर फर्जी केस लगाकर जेल भेजने की जो कुप्रथा शुरू हुई थी, लगता है अब उसे पुलिस अधिकारियों ने भी अपनाना शुरू कर दिया है.
घोटाले के मामले में लगभग 6 महीने जेल काट चुके हेमंत जी को शायद यह समझ आ चुका होगा कि शेर को सवा शेर जरूर मिलता है और दूसरों के लिए गड्ढा खोदने का परिणाम क्या होता है… लेकिन पुलिस अधिकारियों को अब तक यह सीख समझ नहीं आ पाई है.
@ramgarhpolice उक्त मामले में पीड़िता के आवेदन के आधार पर थाना परिसर की CCTV फुटेज और कॉल डिटेल्स की तुरंत जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई की जाए.
साथ ही, माननीय उच्च न्यायालय से निवेदन है कि पिछले छह वर्षों के दौरान झारखंड में दर्ज हुए आर्म्स एक्ट, NDPS एक्ट, राजद्रोह तथा SC/ST एक्ट के सभी मामलों की जांच रिपोर्ट की समीक्षा की जाए, ताकि फर्जी केस के माध्यम से आम जनता को प्रताड़ित किए जाने की भयावह सच्चाई उजागर हो सके." इसके साथ ही बाबूलाल मरांडी ने राजेश साव की पत्नी द्वारा लिखित आवेदन की कॉपी भी पोस्ट कर साझा की है.
झारखंड में कुछ पुलिस अधिकारी कानून को अपनी निजी रंजिशें निकालने का माध्यम बना चुके हैं। कोई अधिकारी बिहार में अपने पारिवारिक ज़मीन विवाद को लेकर विपक्षी पक्ष पर झारखंड में झूठा मुकदमा दर्ज कर रहा है, तो कोई मुफ्त में मीट न देने पर दुकानदार पर फर्जी केस थोप रहा है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 9, 2025
पतरातू में भी… pic.twitter.com/SxjYyfCykW
अब नेता प्रतिपक्ष के इस पोस्ट से झारखंड पुलिस पर कई सवाल उठते हैं. साथ ही गौर करने वाली बात यह भी है कि उच्च न्यायालय से पिछले छह वर्षों के दौरान झारखंड में दर्ज हुए आर्म्स एक्ट, NDPS एक्ट, राजद्रोह तथा SC/ST एक्ट के सभी मामलों की जांच रिपोर्ट की समीक्षा की भी मांग की गई है.
वहीं दूसरी ओर यदि राज्य में बीते दिनों पुलिस के एक्शन की बात की जाए तो मामला चाहे भुरकुंडा में पुलिस जवान द्वारा MR पर लाठी चलाने का हो या पतरातू में मुफ्त की मीट ना मिलने पर आर्म्स एक्ट के झूठे मुकदमे का हो, बेशक पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है.

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