टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : सोशल मीडिया के बढ़ते यूज ने लोगों के सामने कई चुनौती भी खड़ी कर दी है. इन सबमें सबसे बड़ी चुनौती प्राइवेसी की है. इसी प्राइवेसी के चलते दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक को 90 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ रहा है. दरअसल, पिछले एक दशक से चल रहे इस प्राइवेसी मुकदमे में फेसबुक पर आरोप लगा था कि फेसबुक सोशल मीडिया वेबसाइट से लॉग आउट करने के बाद भी यूजर की इंटरनेट ऐक्टिविटी को ट्रैक करता है.

कैलिफोर्निया के सैन जोस में यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सोमवार रात को एक प्रस्तावित प्रारंभिक समझौता दायर किया गया था. इस समझौते के लिए न्यायाधीश की मंजूरी की आवश्यकता होती है. समझौते के लिए फेसबुक को अनुचित तरीके से जमा किए गए सभी डेटा को डिलीट भी करना था.

डाटा को एडवर्टाइज़र के पास भेजा जाता था

यूजर ने Meta Platforms Inc unit पर फेडेरल और स्टेट प्राइवेसी और वायरटैपिंग कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. यूजर ने कहा कि जब वे फेसबुक "लाइक" बटन वाली किसी बाहरी वेबसाइटों पर जाते हैं तो प्लग-इन का उपयोग कर ट्रैक की गई कुकीज़ को स्टोर किया जाता है. यह कानून का उल्लंघन है. इसके बाद फेसबुक ने कथित तौर पर यूजर्स के ब्राउज़िंग हिस्ट्री को उन प्रोफाइल में कम्पाइल किया, जिन्हें फेसबुक ने एडवर्टाइज़र को बेचा था.

दोबारा दायर हुआ मुकदमा

इस मामले को पहले जून 2017 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन अप्रैल 2020 में एक फेडेरल अपील द्वारा कोर्ट में इस मुकदमे को फिर से दायर किया गया. इसमें कहा गया था कि यूजर यह साबित करने की कोशिश कर सकते हैं कि कैलिफोर्निया स्थित कंपनी मेनलो पार्क ने अन्यायपूर्ण रूप से मुनाफा कमाया और उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन किया. फ़ेसबुक का यू.एस. सुप्रीम कोर्ट को मामले को उठाने के लिए मनाने का प्रयास असफल रहा. सेटलमेंट पेपर के अनुसार, कंपनी ने गलत काम करने से इनकार किया, लेकिन ट्रायल की लागत और जोखिम से बचने के लिए समझौता किया है. मेटा के प्रवक्ता ड्रयू पुसाटेरी ने एक ईमेल में कहा कि हमारे समुदाय और हमारे शेयरधारकों के सर्वोत्तम हितों के लिए इस पुराने मुद्दे से आगे बढ़कर खुशी हो रही है.