टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : आज का दिन संसद के लिए काफी अहम रहा, क्योंकि आज तीन बड़े विधेयक लोकसभा में पेश किए गए. इनमें 130वां संविधान संशोधन विधेयक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश सरकार संशोधन विधेयक शामिल हैं.

विधेयक में कहा गया है, "यदि किसी मंत्री को पद पर रहते हुए, किसी भी मौजूदा कानून के तहत दंडनीय अपराध के लिए लगातार 30 दिनों की अवधि के लिए गिरफ्तार और हिरासत में रखा जाता है, तो ऐसी हिरासत के 31वें दिन, प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा उसे पद से हटा दिया जाएगा. यदि ऐसे मंत्री को हटाने के लिए प्रधानमंत्री की सलाह 31वें दिन तक राष्ट्रपति को नहीं भेजी जाती है, तो वह अगले दिन से मंत्री नहीं रहेगा."

बताते चलें वर्तमान में, गिरफ्तारी के बाद मंत्रियों के अपने पदों पर बने रहने पर कोई रोक नहीं है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी ने विभिन्न आरोपों में गिरफ्तारी के बाद से अपने पदों से इस्तीफा नहीं दिया था.

जानिए कब देना होगा इस्तीफा

  • पद से हटाने का यह नियम उन मामलों में लागू होगा जहां सज़ा पांच साल या उससे ज़्यादा है.
  • अगर मंत्री या मुख्यमंत्री को 30 दिन तक ज़मानत नहीं मिलती है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफ़ा देना होगा.
  • अगर गिरफ़्तारी के 30 दिन बाद भी वे इस्तीफ़ा नहीं देते हैं, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा हुआ माना जाएगा.

कांग्रेस पार्टी ने हमला किया

कांग्रेस पार्टी ने कहा कि ये विधेयक बिहार में राहुल गांधी की मतदाता अधिकार रैली से ध्यान हटाने के लिए पेश किए जा रहे हैं. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "गृह मंत्री अमित शाह के बिल कुछ और नहीं बल्कि राहुल गांधी की विस्फोटक मतदाता अधिकार यात्रा से जनता का ध्यान हटाने की एक हताश कोशिश है. पहले सीएसडीएस-भाजपा आईटी सेल का ड्रामा और अब यह बिल. यह स्पष्ट है कि बिहार में बदलाव की बयार बह रही है."