धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया में बोनस का फैसला 22 सितंबर को होगा या मानकीकरण समिति की बैठक की तिथि आगे बढ़ेगी, इस बात की चर्चा कोयलांचल में तेज हो गई है. बता दें कि इंटक रेड्डी गुट को कोल् इंडिया मानकीकरण समिति की बैठक में शामिल करने संबंधी कोलकाता हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ इंटक ददई गुट की ओर से याचिका दायर कर चुनौती दी गई है. दावा किया गया है की याचिका लिस्ट हो गई है. सोमवार को सुनवाई होगी. सोमवार को ही मानकीकरण समिति की बैठक प्रस्तावित है. बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में इंटक फेडरेशन को 22 सितंबर को होने वाली मानकीकरण समिति की बैठक में शामिल करने के पक्ष में निर्णय दिया था.
इंटक ददई गुट ने आदेश को कोर्ट में दी है चुनौती
इंटक ददई गुट के एनजी अरुण के अनुसार कोलकाता हाई कोर्ट में अपील की गई है. सोमवार को सुनवाई होगी. इधर, जानकारी मिली है कि इंटक फेडरेशन ने 22 सितंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए दो मुख्य और एक विकल्प सदस्य का नाम कोल् इंडिया को भेज दिया है. इसमें फेडरेशन के अध्यक्ष विधायक जय मंगल सिंह, एसक्यू जामा और वैकल्पिक सदस्य के रूप में जनक प्रसाद के नाम शामिल है. इधर , सूत्र बताते हैं कि कोल् इंडिया मैनेजमेंट में भी पिटीशन दायर किया है. उलेखनीय है कि कोल इंडिया में बोनस को लेकर न केवल कर्मचारी उत्साहित रहते ,बल्कि बैंक और बाजार की भी टकटकी लगी रहती है. बोनस की संभावित रकम के मुताबिक बाजार पूंजी निवेश करता है. कोल इंडिया की दो सहायक कंपनियां तो पूरी तरह से झारखंड में चलती है, जबकि ईसीएल की कई कोलियरिया भी झारखंड में है . इस वजह से बोनस की रकम झारखंड में भारी मात्रा में पहुंचती है.
बोनस में हर साल पचास रुपये की बढ़ोत्तरी का ट्रेंड रहा है
वैसे पिछले सालों का ट्रेंड देखा जाए तो हर साल लगभग ₹5000 की बढ़ोतरी हुई दिखती है. इस अंदाज से भी उम्मीद की जानी चाहिए की 2025 में बोनस की रकम एक लाख तक पहुंच सकती है. इसके लिए मजदूर संगठनों पर दबाव है. दरअसल, प्रबंधन और मजदूर संगठनों की बैठक में ही तय होता है कि बोनस की राशि कितनी निर्धारित की जाए. उसके बाद घोषणा होती है और कर्मचारियों के खाते में बोनस की राशि भेज दी जाती है. बता दे कि देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और इसकी सहायक कंपनियों के कर्मियों में दुर्गा पूजा एक बड़ा उत्साह लेकर आता है. बोनस की राशि को किस मद में और कैसे खर्च करनी है, इसकी गणना कर्मी पूरे साल करते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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