टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : शारदीय नवरात्रि का आज आठवां दिन है. इसे महाष्टमी भी कहा जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर होगी. वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 30 सितंबर को शाम 06 बजकर 06 मिनट पर होगा. ऐसे में महाष्टमी का व्रत 30 सितंबर को रखा जाएगा, साथ ही जगत जननी की विशेष पूजा की जाएगी. ऐसे में महाष्टमी के 108 दिए जलाने का मुहूर्त शाम 6 बजे तक रहेगा. महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि माँ महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सौभाग्य, सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है. अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, जहाँ नौ कन्याओं और भैरव बाबा की पूजा करके उन्हें भोजन कराया जाता है.

अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को कन्या पूजन अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. जो भक्त नवरात्रि व्रत का पारण अष्टमी के दिन करते हैं, वे इसी दिन कन्या पूजन भी करते हैं. इस अवसर पर मां भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके शक्तिशाली मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का 108 बार जप करना शुभ माना जाता है.

महागौरी की पूजा कैसे करें

प्रातः स्नान के बाद, भक्त देवी महागौरी का ध्यान करते हैं. पूजा के दौरान देवी को सफ़ेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह उनका प्रिय रंग है. भक्त फूल, मिठाई, फल और रोली-कुमकुम चढ़ाते हैं, आरती करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं.

मां महागौरी का दिव्य स्वरूप
मां दुर्गा का महागौरी रूप पूरी तरह से श्वेत आभा से युक्त है. मान्यता है कि कठोर तपस्या के बाद देवी को गौरवर्ण प्राप्त हुआ. इस स्वरूप में मां ने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और उनकी सवारी वृषभ यानी बैल है. माता की चार भुजाएं हैं और धार्मिक कथाओं के अनुसार, महागौरी का प्रकट होना तब हुआ जब देवी की आयु मात्र आठ वर्ष थी.

नारियल महागौरी को है प्रिय भोग

भक्तों को देवी माँ को नारियल और पीले व सफेद फूल चढ़ाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि नारियल चढ़ाने से देवी माँ प्रसन्न होती हैं और आपकी सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं. अष्टमी के दिन गुलाबी वस्त्र धारण करने और देवी माँ को रात्रि रानी के फूल चढ़ाने से विशेष लाभ होता है.