टीएनपी डेस्क (TNP DESK):हमारे हिंदू धर्म में मामा और भांजी का एक खास रिश्ता होता है जहां भांजी को ब्राह्मण के रूप में देखा जाता है, मामा और भांजी की जोड़ी काफी सुपरहिट होती है लेकिन हमारे देश में ही कुछ समुदाय में मामा और भांजी की शादी कराई जाती है.वहीं मामा और भांजी की शादी को काफी ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसे शुभ माना जाता है.

काफी अजीब है ये परंपरा

आपको बताये है कि भारत विविधताओं का देश है, जहां सभी धर्म के लोग बड़े अदब और प्यार से रहते है. सभी की अपनी-अपनी परंपराएं होती है.जिसकी अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बतानेवाले हैं जो काफी अजीब गरीब सुनने में लगती है. वहीं काफी ज्यादा इसकी आलोचना भी की जाती है. एक तरफ जहां सनातन धर्म में मामा और भांजी के रिश्ते को बेटी और बाप का माना जाता है और भांजी से पैर छूआना भी पाप माना जाता है, वहीं दूसरी तरफ मामा और भांजी की शादी सुनने में काफी अटपटा लगता है.

इस समुदाय में मामा-भांजी की शादी को दी जाती है प्राथमिकता

आपको बतायें कि दक्षिण भारत के कुछ आदिवासी समुदाय में जाति व्यवस्था बहुत मजबूत है जहां इन समुदाय में सिर्फ अपने ही जाति में शादी की जा सकती है. ऐसे में अगर किसी जाति में लड़कियां कम ररती हैं तो मामा भांजी की शादी भी कराया जाता है वहीं इसके साथ ही कुछ मामालों में मामा भांजी की शादी का सहारा इसलिए भी लिया जाता है क्योंकि शादी के बाद जमीन और संपत्ति को एक ही परिवार में रखने में मदद होती है साथ ही इन समुदायों में सामाजिक दबाव की वजह से भी मामा भांजी की शादी की जाती है. वहां कुछ आदिवासी समुदाय को मनाना है कि मामा भांजी की शादी में परिवार से खुशहाली आती है.

कानूनी रुप से अवैध होती है ऐसी शादी

आपको बताये कि यह परंपरा कई वजह से गलत भी मानी जाती है. मामा भांजी की शादी होने वाले बच्चे में कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होती है.वहीं इस तरह की शादी को कानूनी रुप से गलत माना जाता है.यह परंपरा महिलाओं के अधिकारों का हनन करता है वहीं मामा भांजी की शादी से सामाज में गलत संदेश जाता है.जिससे लोग इसका विरोध करते है.