टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है, लेकिन इसकी पहचान अक्सर गरीबी, पिछड़ेपन और पलायन से जुड़ी रही है. जहाँ आम लोगों के लिए रोज़गार और बुनियादी सुविधाओं का संघर्ष जारी है, वहीं सत्ता और नौकरशाही के गलियारों में एक ऐसा खेल चल रहा है जो झारखंड को बार-बार सुर्खियों में ला रहा है. यह खेल नौकरशाहों और सत्ता के दलालों के बीच की सांठगांठ है.
राजनीति में अक्सर कहा जाता है कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से दोस्ती करना चार राजनेताओं से दोस्ती करने से बेहतर है. वजह साफ़ है: राजनेता अपना पद बदल सकते हैं, लेकिन नौकरशाह अपनी जगह पर बने रहते हैं. इस दोस्ती के नतीजे झारखंड में बार-बार देखने को मिले हैं. पिछले दस सालों में कई आईएएस अधिकारी सुर्खियाँ बटोर चुके हैं और जेल भी जा चुके हैं, लेकिन उनके नेटवर्क और उनके सत्ता के दलाल लगातार बढ़ते और फलते-फूलते रहे हैं.
नौकरशाही और पावर ब्रोकर: झारखंड का स्थायी खेल
झारखंड में यह कोई नई कहानी नहीं है. राज्य बनने के बाद से ही यहां नौकरशाहों और कारोबारी दलालों का गठजोड़ चलता रहा. लेकिन पिछले पांच साल इस खेल का सबसे बड़ा सच सामने आए.
IAS पूजा सिंघल: मनरेगा घोटाले से लेकर ED रेड तक, करोड़ों की संपत्ति बरामद.
IAS अरुण वरुण एक्का: मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहते सत्ता में गहरी पकड़, बाद में ED की कार्रवाई.
IAS छवि रंजन : रांची के पूर्व डीसी, समाज कल्याण सचिव, सेना की जमीन तक की फर्जी जमाबंदी में नाम.
IAS विनय कुमार चौबे : आबकारी विभाग और जमीन घोटाले में गिरफ्तार, फिलहाल जेल में.
IAS सजल चक्रवर्ती और डॉ. प्रदीप कुमार : लंबे समय तक जेल की हवा खा चुके.
इन अफसरों के खिलाफ अभियोजन जारी है. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. इनके साथ-साथ ऐसे कारोबारी और पावर ब्रोकर उभरे, जिन्होंने IAS से दोस्ती कर रातों-रात अरबों की संपत्ति बना ली. सरकारी ठेकों, जमीन की जमाबंदी, खनन, शराब नीति हर क्षेत्र में इन दलालों की भूमिका रही. जब ED और ACB ने रेड किया तो लाखों-करोड़ों रुपये कैश और संपत्ति सामने आई. कई बार नोट गिनने की मशीन बुलानी पड़ी. यही वजह है कि लोग झारखंड के इस खेल को "मनी हाइस्ट" कहने लगे.
ये पावर ब्रोकर रहे शामिल
विनय सिंह: Nexgen Automobile का मालिक और IAS चौबे का करीबी
विनय सिंह, जिन्हें कभी-कभी विनय कुमार सिंह भी कहा जाता है, रांची का चर्चित नाम हैं. वे Nexgen Automobile के मालिक हैं, जो ऑटोमोबाइल डीलरशिप का कारोबार करता है. लेकिन असली कहानी बिजनेस से आगे बढ़ती है. विनय सिंह को निलंबित IAS विनय कुमार चौबे का बेहद करीबी माना जाता है. विनय चौबे हेमंत सोरेन सरकार में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और बाद में आबकारी विभाग के सचिव रहे.
मुख्य विवाद
हजारीबाग वन भूमि घोटाला (2025): आरोप है कि संरक्षित वन भूमि की करोड़ों रुपये की अवैध जमाबंदी कराई गई, जो विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर दर्ज हुई.
शराब घोटाला (2025): ACB और ED की जांच में सामने आया कि चौबे की अवैध कमाई को निवेश कराने का काम विनय सिंह करते थे.
ACB छापेमारी
6 ठिकानों पर रेड, जिसमें गवाहों को प्रभावित करने और सबूत नष्ट करने के आरोप लगे. 25 सितंबर 2025 को ACB ने उन्हें गिरफ्तार किया. वे फिलहाल जेल में हैं और विनय चौबे के साथ कोर्ट केस का सामना कर रहे हैं.
प्रेम प्रकाश: सत्ता के गलियारों का "पीपी"
रांची निवासी प्रेम प्रकाश का नाम पावर ब्रोकर की दुनिया में सबसे मशहूर है. वे कभी साधारण कारोबारी थे, लेकिन धीरे-धीरे IAS और राजनीतिक हलकों में उनकी पैठ इतनी गहरी हो गई कि वे "ट्रांसफर-पोस्टिंग" तक तय कराने लगे.
IAS छवि रंजन से रिश्ता
प्रेम प्रकाश, निलंबित IAS छवि रंजन के बेहद करीबी रहे. छवि रंजन के डीसी कार्यकाल में कई जमीन डील्स हुईं, जिसमें करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आए. यहां तक कि जेल में दोनों की मुलाकात CCTV में कैद हुई.
मुख्य विवाद
ED रेड (2022): रांची स्थित घर से दो AK-47 राइफलें और अवैध खनन से जुड़े दस्तावेज बरामद.
सेना भूमि घोटाला (2023): करम टोली की जमीन की फर्जी जमाबंदी, जिसमें 1 करोड़ रुपये रिश्वत का आरोप.
चेशायर होम रोड केस (2023): 1 एकड़ जमीन की अवैध खरीद-बिक्री, जिसमें डेढ़ करोड़ रुपये का लेन-देन.
प्रेम प्रकाश को मनी लॉन्ड्रिंग और जमीन घोटालों में गिरफ्तार किया गया. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी वे अन्य मामलों में जेल से बाहर नहीं आ सके.
विशाल चौधरी: रियल एस्टेट का दलाल और IAS अफसरों का चहेता
मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी विशाल चौधरी रांची में बिल्डर और कारोबारी के रूप में उभरे. उनका नाम IAS अधिकारियों की "काली कमाई" को निवेश कराने में सबसे ऊपर आता है.
IAS राजीव अरुण एक्का से करीबी
विशाल चौधरी को IAS राजीव अरुण एक्का (पूर्व प्रधान सचिव, झारखंड सरकार) का करीबी माना जाता है. ED की जांच में सामने आया कि उन्होंने नोएडा फ्लैट खरीदने में अरुण एक्का की मदद की.
मुख्य विवाद
ED रेड (2022): रांची और मुजफ्फरपुर के 6-7 ठिकानों पर छापेमारी. 5 करोड़ कैश बरामद हुआ.
पूजा सिंघल केस: मनरेगा घोटाले और अवैध खनन में पूजा सिंघल से जुड़े लेन-देन.
35 पेज की ED रिपोर्ट (2023): जिसमें उन्हें "काली कमाई का बड़ा दलाल" बताया गया.
29 सितंबर 2025 तक विशाल चौधरी ED जांच के दायरे में हैं और कोर्ट में केस चल रहा है.
अमित अग्रवाल और अन्य नाम
प्रेम प्रकाश, विनय सिंह, विशाल चौधरी जैसे बड़े नामों के अलावा कई छोटे-बड़े ब्रोकर भी सत्ता में गहरी पैठ बनाकर करोड़पति बने. इनमें अमित अग्रवाल का नाम खास तौर पर लिया जाता है, जो IAS अफसरों और नेताओं की डील कराने के लिए कुख्यात रहे.
29 सितंबर 2025 तक विनय सिंह और विनय चौबे जेल में हैं, प्रेम प्रकाश और छवि रंजन कई केस झेल रहे हैं, विशाल चौधरी ED की जांच में हैं. लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती. क्योंकि सिस्टम और राजनीति की चुप्पी इस बात का सबूत है कि यह "मनी हाइस्ट" आगे भी नए चेहरों के साथ चलता रहेगा.

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