गोड्डा(GODDA):झारखण्ड की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छिपा हुआ नहीं है .और इस व्यवस्था से गोड्डा जिला कोई अछुता थोड़े ही है .सिर्फ बड़े बड़े भवन ,बड़ी बड़ी मशीने तो DMFT के भारी भरकम रकम से बना लिए जाते हैं .मगर जो बेसिक आवश्यकताएं हैं जैसे विशेषग्य चिकित्सक या तकनीशियन या फिर जांच के लिए उपयोगी सामग्रियां उपलब्ध नही कराया गया है .इन्ही सब खामियों ने बुधवार की शाम को एक 12 वर्षीय आदिवासी बच्ची की जान ले लिया .
क्या हुई घटनाक्रम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र के बोआरीजोर प्रखंड के पकडिया गाँव के दिलीप बेसरा की 12 वर्षीय बेटी रेशमा बेसरा बुखार से पीड़ित सदर अस्पताल बुधवार की सुबह पहुंची थी .जहाँ चिकत्सकों ने जांच और तमाम ताम झाम परिजनों को लिखकर दे दिया और बच्ची को एडमिट करके उसके हाल पड़ छोड़ दिया गया .उसके बाद ANM के भरोसे रेशमा दिन भर अस्पातल के बिसर पड़ पड़ी रही और परिजन उसके जांच के लिए बाजार में दौड़ लगाते रहे .शाम को जब सारे रिपोर्ट इकट्ठा हुए तब तक रेशमा दुनिया को अलविदा कह गयी .
बेशर्मी देखिये ,मौत के बाद ICU में रेफर का किया गया दिखावा
इतना ही नही जब अस्पातल में मौजूद ANM और ऑन ड्यूटी चिकित्सक रेशमा को मौत के बाद उसको ICU में रेफर करने का बहाना करते दिखे .फिर क्या था परिजनों का गुस्सा फुट पड़ा और जमकर अस्पताल प्रबंधन पर चीखते चिलाते दिखे .मगर यहाँ गूंगी बहरी स्वास्थ्य सिस्टम में उनकी सुनता कौन ?
3200 रुपयों की दवा बाजार से और 6 हजार का सीटी स्कैन भी करवाया गया
सरकारी स्वास्थ्य महकमे की पोल और भी ज्यादा खुल गयी जब सरकरी चिकित्सकों ने जब दवाएं लिखी वो अस्पताल में नही मिली और परिजनों को बाजार से 3200 रुपयों की दवा बाजार से लानी पड़ी .इसके अलावे 6 हजार का सिटी स्कैन भी करवाया गया .मगर इतना सब के बावजूद रेशमा को बचाया नही जा सका.
रिपोर्ट-अजित कुमार सिंह

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