देवघर (DEOGHAR) : देवघर के बैद्यनाथ मंदिर देश के सभी बारह पवित्र ज्योर्तिलिंगो में से एक है. वैसे तो सभी पवित्र ज्योतिर्लिंग की विशिष्ट धार्मिक महत्वता है. लेकिन देवघर का बैद्यनाथ मंदिर कई ऐसी विविधताएं अपने आप में समेटे हुए हैं, जो आदिकाल से ही धार्मिक मामलों के जानकारों के लिए कोतुहल का विषय रहा है. ऐसी ही विशेषता है मुख्य मंदिर के गुबंद के अंदरुनी भाग में जड़ा हुआ चंद्रकांता मणि की. ऐसी मान्यता है कि रावण ने खुद इस अदभूत मणि को कुबेर से लेकर यहा स्थापित किया था. ता दें कि देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर के लगभग 85 फीट ऊंचे गुम्बद के भीतरी भाग में चंद्रकांता मणि जड़ा हुआ है.
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अवलोकन का प्रयास हुई विफल
जानकारों की मानें तो यह अमूल्य रत्न खुद रावण ने इस मंदिर के गुंबद में स्थापित किया गया था.ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा से प्रभावित हो कर इस मणि से ओस की बूंदो के सामान जल लगातार पवित्र ज्योतिर्लिंग पर गिरता रहता है. जानकारों के अनुसार सन 1961 में इस अदभूद मणि को देखने का सौभाग्य लोगों को मिला था. तब ही इसकी एक तस्वीर भी ली गयी थी. उसके बाद से कई विशेषज्ञों के सहयोग से इसके करीब पहुंचने और इस मणि के अवलोकन का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. जिन तीर्थ पुरोहितों ने अपनी आंखो से इसका दर्शन किया है. उनकी मानें तो गुंबद के सबसे उपरी छत में एक चतुर्भुजाकार आकृति बनी हुयी है. जिसके चारों किनारे में बड़े आकार के नवरत्न जड़े हुये है. और मध्य भाग में एक अष्टदल कमल बना हुआ है. इसी के बीच में यह अमूल्य चंद्रकांता मणि को जड़ा गया है. दुनिया की इस बेशकीमती धरोहर का दर्शन अब आम भक्तों को भी कराये जाने की बात की जा रही.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा, देवघर
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