टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : शारदीय नवरात्रि के नौ पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. प्रत्येक दिन माता के अलग रूप की पूजा का विधान है. नवरात्रि का तीसरा दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है. यह रूप शांति, साहस और कल्याण का प्रतीक माना जाता है. माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से भक्त को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि का वरदान मिलता है. उनके आशीर्वाद से पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं. साथ ही साधक में साहस, निर्भयता, विनम्रता और सौम्यता का विकास होता है. उसके व्यक्तित्व में तेज, आकर्षण और मधुरता स्वतः बढ़ जाती है.
पूजा विधि और मंत्र
इस दिन मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराकर पुष्प, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर अर्पित करें. केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं. सफेद कमल, लाल गुड़हल और गुलाब की माला चढ़ाना शुभ माना जाता है. पूजा के दौरान भक्त यह मंत्र जपें.
"या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।"
"पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।"
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