टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : शारदीय नवरात्रि के नौ पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. प्रत्येक दिन माता के अलग रूप की पूजा का विधान है. ऐसे में आज मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा की पूजा की जाती है. बताते चले कि इस बार नवरात्रि पर यह अनोखा संयोग बन रहा है क्योंकि इस बार की नवरात्रि पर दो दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा होगी. ऐसे में साधक का मन इस दिन ‘अनाहत चक्र’ में स्थित होता है, इसलिए भक्त को अत्यंत पवित्र और निश्छल भाव से देवी का ध्यान कर पूजा करनी चाहिए. अपनी मंद और कोमल मुस्कान से ब्रह्माण्ड की सृष्टि करने के कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है. जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों ओर घोर अंधकार छाया था, तब देवी ने अपने ईषत् हास्य से इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी.
पूजा से मिलने वाले फल :
मां कूष्माण्डा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करती हैं तथा आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं. यदि प्रयासों के बावजूद मनोनुकूल परिणाम न मिल रहे हों, तो इस स्वरूप की आराधना से मनोवांछित फल मिलने लगते हैं.
पूजन विधि और भोग :
नवरात्र के चौथे दिन कलश पूजन कर माता कूष्माण्डा का आह्वान करें। उन्हें श्रद्धा से फल, फूल, धूप, गंध और भोग अर्पित करें. विशेष रूप से मालपुए का भोग लगाकर किसी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को प्रसाद देना शुभ माना गया. पूजा के उपरांत बड़ों का आशीर्वाद लें और प्रसाद का वितरण करें. इससे ज्ञान, कौशल और बुद्धि की वृद्धि होती है.
देवी का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

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