टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : चित्रगुप्त पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है. इस साल चित्रगुप्त पूजा गुरुवार, 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी. यह दिन कायस्थ समुदाय के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि भगवान चित्रगुप्त को उनका संरक्षक देवता माना जाता है. इस दिन, लोग पूजा-पाठ करते हैं और कलम और दवात की पूजा करते हैं, अपने जीवन में ज्ञान, बुद्धि और न्याय की कामना करते हैं.
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
पुराणों के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त का जन्म यमराज के कहने पर इंसान के कर्मों का रिकॉर्ड रखने के लिए हुआ था. कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने उन्हें अपने शरीर से बनाया था, इसलिए उनका नाम "कायस्थ" पड़ा. चित्रगुप्त को धर्मराज का सेक्रेटरी माना जाता है, जो हर इंसान के जीवन के कर्मों का रिकॉर्ड रखते हैं, जिसके आधार पर मौत के बाद न्याय किया जाता है. इस दिन उनकी पूजा करने से इंसान को अपने कर्मों का पता चलता है और ज़िंदगी में नेकी और न्याय के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है.
जानिए पेन और दवात की पूजा क्यों की जाती है
चित्रगुप्त पूजा को कलम-दवात पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लोग पेन, दवात, किताबें, अकाउंट बुक और बिज़नेस, पढ़ाई-लिखाई और घर के कामों में इस्तेमाल होने वाले कागज़ात की पूजा करते हैं. ऐसा माना जाता है कि पेन और इंकपॉट ज्ञान और लेखन से जुड़े होते हैं, क्योंकि चित्रगुप्त खुद ब्रह्मांड के पहले अकाउंटेंट हैं, इसलिए इन निशानियों की पूजा करना उनके प्रति सम्मान की निशानी है. बिज़नेसमैन इस दिन नए अकाउंट शुरू करते हैं, और स्टूडेंट्स अपनी किताबों की पूजा करके सफलता की प्रार्थना करते हैं.
पूजा का शुभ समय
पंचांग के अनुसार
द्वितीया तिथि शुरू: 22 अक्टूबर, रात 11:45 बजे
द्वितीया तिथि खत्म: 23 अक्टूबर, रात 10:12 बजे
पूजा का सबसे अच्छा समय: सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
इस दौरान, भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ़ जगह पर रखकर दीपक, धूप, फूल, फल, एक पेन, इंकपॉट और एक स्टाइलस से पूजा करनी चाहिए. चित्रगुप्त पूजा सिर्फ़ एक धार्मिक त्योहार ही नहीं बल्कि आत्मनिरीक्षण का दिन भी है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर काम का हिसाब होता है. इसलिए, सच्चाई, न्याय और नेकी के रास्ते पर चलना ही जीवन का सच्चा धर्म है. कलम और दवात की पूजा करने से यह परंपरा ज़िंदा रहती है, जो ज्ञान और समझदारी का प्रतीक है.

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