टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत आज यानि की 7 सितंबर से शुरूहो चुकी है. पितृपक्ष पितरों का श्रद्धा और तर्पण करने के लिए सबसे उचित समय माना गया है. इस दौरान पितरों का श्राद्ध किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं. वहीं पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से हो जाती है. इस दिन को पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है.पितृपक्ष हिंदू धर्म में एक पवित्र और महत्वपूर्ण काल है, जो भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि यानि की 16 दिनों तक चलता है. यह काल पितरों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए समर्पित है, जिसमें श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड किए जाते हैं. शास्त्रों में इसे अशुभ काल माना जाता है, क्योंकि यह मृत्यु से जुड़े संस्कारों से जुड़ा है. गरुड़ पुराण के अनुसार, पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण से तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है. इसी दौरान पितरों का गया श्रद्धा या गया वास भी किया जाता है. गया श्राद्ध को सबसे उत्तम श्राद्ध क्रिया माना गया है. मान्यता यह भी है की गयाजी जाकर यह श्राद्ध कर्म करने से पितरों को काभी भटकना नहीं पड़ता है.

तिथि के अनुसार श्राद्ध : 
जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि के दिन होती है उन लोगों का श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध प्रतिपदा तिथि यानी अगले दिन ही किया जाता है. साल 2025 में पहला श्राद्ध 8 सितंबर 2025, सोमवार के दिन किया जाएगा.

पितृ पक्ष में किस तिथि को कौन सा श्राद्ध
8 सितंबर को प्रथम श्राद्ध
9 सितंबर को द्वितीय श्राद्ध
10 सितंबर को तृतीय श्राद्ध
11 को चतुर्थी श्राद्ध
12 को पंचमी और षष्ठी श्राद्ध, 13 को सप्तमी श्राद्ध
14 को अष्टमी श्राद्ध
15 को नवमी श्राद्ध
16 को दसवीं श्राद्ध
17 को एकादशी श्राद्ध
18 को द्वादश श्राद्ध
19 को त्रयोदश श्राद्ध
20 को चतुर्दश श्राद्ध
21 सितंबर अमावस्या तिथि को सार्वपैत्री श्राद्ध पितृ विसर्जन व महालया है. यानि कि इस दिन सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है.