टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा का दिन काफी शुभ माना जाता है. लेकिन इस बार पड़ रही आश्विन मास की शरद पूर्णिमा शुभ होने के साथ ही बेहद खास भी है. बताते चलें कि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है और इसी दिन चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. साथ ही कहा यह भी जाता है कि इस दिन सुबह स्नान करके दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. और तो और एक मान्यता यह भी है कि इस दिन रात में चाँद की रौशनी के नीचे खीर बना कर रखनी चाहिए और अगले दिन सुबह इसे ग्रहण करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत वर्षा होती है.
इस बार शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा की शुरूआत 6 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 24 मिनट से हो जाएगी. वहीं इसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 35 मिनट पर होगा. इस दिन चंद्रोदय शाम को 5 बजकर 31 मिनट पर होगा और इसी दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा भी होगी.
शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का है खास महत्व
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशन में दूध से बनी खाने की चीज रखने पर वो अमृत बन जाती है. असल में लोगोंं का ऐसा मानना है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत वर्षा होती है इसलिए लोग खीर को चाँद की रोशनी के नीचे रखते हैं. ऐसे में शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखने की परंपरा काफी पुरानी है. इस दिन खीर इसलिए भी बनाई जाती है, क्योंकि मां लक्ष्मी को खीर अत्यंत प्रिय है. साथ ही उन्हें खीर का भोग भी लगाया जाता है. साथ ही इस अमृतमयी खीर का सेवन करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था, और चंद्रदेव ने प्रसन्न होकर अमृत की वर्षा की थी. यह दिन मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, इसलिए इस दिन उन्हें खीर का भोग लगाने से घर में धन और सुख-समृद्धि आती है.

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