टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. ऐसे में नवरात्रि के नौ दिनों में आठवे दिन महाष्टमी को माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है. ऐसे में कुछ लोगों को यह कन्फ़्युज़न है की महाष्टमी की पूजा कब की जाएगी. इस बार वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 28 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर हुई है जिसके बाद सप्तमी तिथि का समापन 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है. इस प्रकार सप्तमी तिथि 29 सितंबर को मानी जाएगी क्योंकि इस दिन उदया तिथि में सप्तमी तिथि पड़ी है.
कब है अष्टमी ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 32 मिनट पर होगी. वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 30 सितंबर को शाम 06 बजकर 06 मिनट पर होगा. ऐसे में महाष्टमी का व्रत 30 सितंबर को रखा जाएगा, साथ ही जगत जननी की विशेष पूजा की जाएगी. ऐसे में महाष्टमी के 108 दिए जलाने का मुहूर्त शाम 6 बजे तक रहेगा.
अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को कन्या पूजन अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. जो भक्त नवरात्रि व्रत का पारण अष्टमी के दिन करते हैं, वे इसी दिन कन्या पूजन भी करते हैं. इस अवसर पर मां भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके शक्तिशाली मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” का 108 बार जप करना शुभ माना जाता है.
मां महागौरी का दिव्य स्वरूप
मां दुर्गा का महागौरी रूप पूरी तरह से श्वेत आभा से युक्त है. मान्यता है कि कठोर तपस्या के बाद देवी को गौरवर्ण प्राप्त हुआ. इस स्वरूप में मां ने सफेद वस्त्र धारण किए हैं और उनकी सवारी वृषभ यानी बैल है. माता की चार भुजाएं हैं और धार्मिक कथाओं के अनुसार, महागौरी का प्रकट होना तब हुआ जब देवी की आयु मात्र आठ वर्ष थी.

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