Ranchi- कैबिनेट विस्तार के बाद कांग्रेसी विधायकों का उबाल अब चंपाई सरकार को ही अपना ग्रास बनाता दिख रहा है. जिस तेवर और आक्रमकता के साथ विधायकों के द्वारा अपने अंदर के असंतोष को सामने लाया जा रहा है, अपनी पीड़ा का इजहार किया जा रह है, उस आक्रोश की आग में कांग्रेस के बजाय अब चंपाई सरकार झुलसती नजर आ रही है. विधान सभा के फ्लोर पर 29 के बजाय 48 विधायकों का समर्थन मिलने के बाद झामुमो जिस हौसले के साथ भाजपा के चुनावी रथ को रोकने की हुंकार भर रहा था, अब उस हुंकार की धार कम होती दिख रही है, क्योंकि इस बार भाजपा से टकराने की चुनौती नहीं होकर, अपने सहयोगी कांग्रेसी विधायकों की कथित नाराजगी को दूर करने की चुनौती है, हालांकि विरोध के स्वर झामुमो की ओर से भी उठते दिख रहे हैं, लेकिन उससे चंपाई सरकार की स्थिरता पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है.
विधायकों का सामना करना से बच रहे हैं प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और गुलाम अहमद मीर
विधायकों की नाराजगी का आलम यह है कि अब उनका सामना करने से खुद झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर भी बचते दिख रहे हैं, और आखिरकार खुद बंसत सोरेन को सामने आकर विधायकों के दर्द को सुनना पड़ रहा है, होटल में बैठ कर उनकी पीड़ा सुननी पड़ रही है, लगता है कि अब किसी भी कांग्रेसी नेता में इन विधायकों का सामना करने की हिम्मत नहीं बची है, या जिनमें यह हौसला है, वह इस हालात के लिए झारखंड प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को ही जिम्मेवार मान रहे हैं, और यही कारण है कि वह इन दोनों को ही इस बिगड़े हालात का मुकाबला करने के लिए छोड़ दिये है.
क्या था कोलकत्ता कैश कांड
यहां बता दें कि इन नाराज विधायकों में अकेला यादव, अम्बा प्रसाद, इरफान अंसारी, राजेश कश्यप, दीपिका पांडेय सिंह, भूषण तिर्की, नवन विक्सल कोंगाड़ी, अनुप सिंह का नाम भी शामिल है. यदि इस सूची को गौर से समझने की कोशिश करें तो इसमें पांच नाम बेहद चौंकाने वाले हैं. वह नाम है विधायक इरफान, राजेश कश्यप नवन विक्सल कोंगाड़ी और अनुप सिंह का. इन पांचों का कहीं ना कहीं संबंध उस कोलकत्ता कैश कांड से जुड़ा है. जिसमें दावा किया गया था कि इरफान अंसारी, राजेश कश्यप, नवन विक्सल कोंगाड़ी के द्वारा तात्कालीन हेमंत सरकार को गिराने की साजिश रची गयी थी. दावा किया जाता है कि तब समय रहते इसकी भनक सीएम हेमंत और राजेश ठाकुर को लग गयी और ऑपेरशन लोट्स को नाकामयाब कर दिया गया, तब इन विधायकों के विरुद्ध कांग्रेस की ओर से आज नाराज विधायकों के साथ खड़े अनुप सिंह की ओर से अरगोड़ा थाने में प्राथमिकी दर्ज करवायी गयी थी, और साथ ही कांग्रेस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इन तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया था. हालांकि बाद में इनका निलंबन वापस ले लिया गया और इसक साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस भी इस मामले में अपनी जांच को बंद कर दिया. लेकिन तब अनुप सिंह की एक तस्वीर भी काफी वायरल हुई थी. उस तस्वीर में अनुप सिंह असम के सीएम हेमंत विस्व सरमा साथ बैठ कर किसी बातचीत में मसगूल नजर आ रहे हैं, और इस तस्वीर को सामने आने के बाद यह दावा किया गया था कि दरअसल इस पूरे प्लानिंग का एक सिरा खुद अनुप सिंह से जुड़ा था, हालांकि बाद में उन्हे जब यह एहसास हुआ कि इस बगावत के बाद भी हेमंत की सरकार नहीं हिलने वाली है, तो उन्होने पाला बदल करते हुए इस पूरे षडयंत्र की जानकारी सीएम हेमंत को दे दी, जिसके बाद राजेश ठाकुर ने अनुप सिंह को इन विधायकों के विरुद्ध मामला दर्ज करवाने का आदेश दिया, इसके साथ ही उस समय सियासी गलियारे में एक चर्चा यह भी थी कि इस षडयंत्र का हिस्सा बरही विधायक अकेला यादव भी थें, लेकिन वह किसी और गाड़ी में सवार थें, जिस गाड़ी पर पश्चिम बंगाल पुलिस की नजर नहीं पड़ी.
विधायक इरफान की चेतावनी के मायने क्या है?
अब जरा आज इरफान के द्वारा दी गयी चेतावनी को समझने की कोशिश करें, तो शक की यह सुई और भी गहरी होती नजर आती है. दरअसल विधायक इरफान ने दावा किया है कि यदि “कांग्रेस कोटे से बनाये गये इन चार मंत्रियों को नहीं हटाया गया, तो ये विधायक किसी भी सीमा तक जा सकते हैं” याद कीजिये, यह शब्द उस इरफान के हैं, जो अपने को हेमंत का हनुमान बताते थें, ईडी की पूछताछ का सामना करने से पहले हेमंत के गले मिलकर भोकार पार रोते दिखे थें. खुद यही हालात अनुप सिंह की थी. लेकिन आज जब हेमंत जेल के सीखंचों में कैद है, इनकी रणनीति किसी और दिशा की ओर बढ़ती नजर आ रही है. इरफान तो किसी भी सीमा तक जाने की धमकी देते नजर आ रहे हैं, दरअसल यह धमकी कांग्रेस से ज्यादा चंपाई सरकार को गिराने की ज्यादा नजर आती है.
तो क्या सामने आने वाला है कोलकता कैश कांड का नवीनतम संस्करण
अब यदि इसकी सारी कड़ियों को आपस में जोड़कर समझने की कोशिश करते हैं तो एक बेहद डरावनी तस्वीर सामने आती है, सारे विधायक दिल्ली की ओर रवाना हो चुके हैं, वैसे तो उनका दावा कांग्रेस अघ्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे से मुलाकात करने का है, लेकिन यहां यह भी याद रखा जाना चाहिये कि ये सारे विधायक दिल्ली जाते ही भाजपा के छत्रछाया में मौजूद हो सकते हैं, और वहीं से झारखंड की यह सियासत ताश पतों की तरह बिखरती नजर आती है. अब ये सारे विधायक झारखंड पुलिस की पहुंच से दूर हो चुके हैं, और उनके सामने भाजपा के साथ हाथ मिलाने से अब कोई रोकने वाला भी नहीं है, रही बात बहाने की, तो सियासत में बहाने की कमी नहीं होती, आप जब चाहे अपनी सुविधा के अनुसार एक तर्क गढ़ सकते हैं, सवाल सिर्फ मंशा की होती है, जो आज खराब दिख रही है. तर्क बेहद साफ है, जब झारखंड में रहकर ऑपरेशन लोट्स सफल किया जा सकता है, तो उस दिल्ली में इन्हे रोकने वाला कौन है?
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