गोड्डा(GODDA): पिछले माह के अंत में जिला श्रम भवन से श्रम अधीक्षक द्वारा सभी निजी विद्यालयों को एक नोटिस भेजा गया था जिसका खुलासा आज संचालकों द्वारा किया गया. निजी विद्यालय के संचालकों के अनुसार श्रम अधीक्षक द्वारा जिस प्रकार की नोटिस की गयी है उससे तो कई विद्यालय बंदी के कगार पर पहुँच जायेंगे. आज सभी संचालकों को कार्यालय बुलाया गया था ताकि इस नोटिस पर परिचर्चा की जा सके .
क्या भेजा गया था निजी विद्यालयों को नोटिस में
श्रम विभाग द्वारा जो नोटिस भेजा गया था उसमे भवन एवं सनिर्माण कर्मकार उपकार अधिनियम 1998 के उपकार निर्धारण कराने को लेकर था . इसमें जो भी निजी विद्यालय का सञ्चालन कर रहे हैं उनके द्वारा भवन निर्माणोंप्रान्त श्रम उपक्रम की राशि आजतक जमा नहीं की गयी है .कहा गया है कि भवन निर्माण में जो भी लागत आई है उस राशी का एक प्रतिशत की राशी प्रतिवर्ष जमा कराने का प्रावधान हा जो कि आजतक नही की गयी है .यह राशी मजदूरों के कल्याणार्थ कोष में जमा होता है .इस कोष का नाम भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण निधि है जिसके नाम से नेपाल हाउस रांची में सरकार द्वारा खाता खोला गया है .
30 दिनों के अन्दर राशी जमा कराने का दिया गया है निर्देश
उपरोक्त नोटिस में आगे ये भी उल्लेख किया गया है कि जब से भवन निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ है तब से लेकर आजतक जो भी राशि देय है उसे नोटिस के 30 दिनों के अन्दर जमा कराना सुनिश्चित करेंगे .अब इसके बाद सभी निजी विद्यालयों के संचालकों के पसीने छुट रहे है हैं .क्योंकि लगभग सभी विद्यालय बीस वर्षों से या उससे अधिक वर्षों से संचालित हैं .अब उस हिसाब से देखा जाय तो प्रत्येक विद्यालयों को लाखों रुपयों को जमा कराना पड़ेगा .
क्या कहते हैं विद्यालय संचालक संघ के सदस्यगण
मंगलवार को एक दर्जन से अधिक संचालक श्रम कार्यालय पहुंचे और श्रम अधीक्षक से मुलाकात की और इस अधिनियम पर परिचर्चा की .संचालकों में प्रलय सिंह ,अमित रॉय सहित सभी संचालकों द्वारा कहा गया कि जिस अधिनियम की बात श्रम विभाग द्वारा दिखाकर नोटिस किया गया है उसकी आजतक हमें जानकारी ही नहीं थी और ऐसी कोई अधिनियम थी तो वर्षों से श्रम विभाग कहाँ सोया हुआ था .कई विद्यालय तो 5050 वर्षों से संचालित हैं उन्हें तक इसकी जानकारी नही है .कहा किसी भी विद्यालय का भवन एक दिन में नही बनता और जिस वक्त बना था विद्यालय अलग थी और उसे वर्तमान बाजार मूल्य से आंकलन करना अनुचित है .इसके अलावे ये भी कहा गया कि ये नोटिस अगर निजी विद्यालयों को दी गयी तो फिर मिशन विद्यालयों ,मदरसों और रसूख वाले विद्यालयों को क्यों नही भेजी गयी .
श्रम अधीक्षक ने कहा
इस बाबत जब हमने श्रम अधीक्षक बब्बन कुमार सिंह से पूरी बात की जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि ये नियम वर्ष 1998 की बनी हुई है ,जो मजदूरों के कल्याण कोष का काम करता है .ये अधिनियाम इतने वर्षों से लागू है और अस्चर्य की बात है जो यहाँ के संचालकों को नही मालुम .इस अधिनियम का उदेश्य मजूदरों के हित में कार्य करना है इसलिए जो नोटिस भेजा गया हा वो नियम के अनुकूल है और इसको देना अनिवार्य होगा.
रिपोर्ट-अजित कुमार सिंह

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