TNPDESK- पांच राज्यों में सियासी शिकस्त के बाद जहां पूरी कांग्रेस मातम में डुबी है, वहीं सीएम नीतीश अचानक से एक्टिव मोड में नजर आने लगे हैं. सीएम नीतीश की इस ताबड़तोड़ बैटिंग से इस बात के संकेत निकल रहे हैं कि अब वह इंडिया गठबंधन की बागोडर खुद अपने हाथों में लेने का मन बना चुके हैं. यही कारण है कि बगैर इंडिया गठबंधन की औपचारिक बैठक का इंतजार किये ही जदयू ने झारखंड के साथ ही यूपी में विशाल रैली आयोजित करने का एलान कर दिया है. हालांकि यह रैली जदयू के बनैर तले होगी या इंडिया गठबंधन के, अभी इस रहस्य से पर्दा उठना बाकी है. लेकिन रैली आयोजित करने का एलान जरुर कर दिया गया है. और इसके साथ ही दिसम्बर के इस ठंड में सियासत का पारा हाई होने लगा है.

झारखंड में ‘जोहार नीतीश’

यहां बता दें कि 21 दिसम्बर से झारखंड में  रामगढ़ से ‘जोहर नीतीश’ की शुरुआत होने जा रही है. दावा किया जा रहा है कि कार्यक्रम के जरिये जदयू झारखंड में अपनी पुरानी सियासी जमीन को वापस पाना चाहती है, लेकिन इसके साथ ही उसकी रणनीति सीएम नीतीश के चेहरे को सामने रख कर कुर्मी-महतो मतदाताओं को इंडिया गठबंधन के पाले में लाने की है, साफ है कि सीएम नीतीश की इस सक्रियता से आखिरकार इंडिया गठंबधन को ही मजबूती मिलेगी.

यूपी में सीएम नीतीश की विशाल रैली

जदयू इसी रणनीति के तहत यूपी में विशाल रैली करने जा रही है, हालांकि इन दोनों राज्यों में सीएम नीतीश की कितनी रैलियां होगी, अभी इसकी जानकारी सामने नहीं आयी है, लेकिन दिसम्बर में इसकी शुरुआत होगी, इतना तय है. बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि इन दोनों राज्यों में जिस जिस इलाके से सीएम नीतीश के लिए मांग आयेगी, उस इलाके में उनकी रैली आयोजित की जायेगी.

फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं नीतीश

ध्यान रहे कि सियासी गलियारों में काफी दिनों से सीएम नीतीश का यूपी के फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. यूपी जदयू के द्वारा लगातार इसका आमंत्रण दिया जाता रहा है, फूलपुर से आये प्रतिनिधत्व मंडल ने भी सीएम नीतीश से मुलाकात कर प्रस्ताव दिया था. दावा किया जाता है कि सीएम नीतीश की इस पहल का मकसद बिहार की तर्ज यूपी में भी मंडल कार्ड खेलना है, ताकि भाजपा के हिन्दुत्व को जातीय गोलबंदी में फंसा कर उसकी हवा निकाली जा सके. और इसके लिए फुलपूर सबसे मुफीद सीट है, फूलपुर और उससे सटे इलाकों में कुर्मी मतदाताओं की बहुलता है. हार जीत का फैसला कुर्मी मतदाताओं के द्वारा होता है.

कुर्मी, यादव, अल्पसंख्यक और दलित वोटरों को एकजूट करने की तैयारी

जबकि पूरे यूपी में कुर्मी जाति की आबादी 6-फीसदी, यादव-11 फीसदी और अल्पसंख्यक की आबादी 20 फीसदी की है, इस प्रकार यह आंकड़ा 37 फीसदी के पास पहुंच जाता है, यदि इसमें कांग्रेस, जयंत चौधरी और चन्द्रशेखर रावण के द्वारा अपना-अपना वोट सफलता पूर्वक हस्तांतरित करा दिया जाता है, तो निश्चित रुप से इंडिया गठबंधन जीत के जादुई आंकड़े को पार कर जायेगा. हालांकि इस बीच खबर यह भी है कि सीएम नीतीश की नजर बहन मायावती पर भी लगी हुई है, और सियासत के इस दुर्दिन में भी बहन मायावती का 12 फीसदी दलितों पर जलबा कायम है, जो किसी भी हालत  में बहन मायावती का हाथ छोड़ने को तैयार नहीं है. इस प्रकार यदि बहन  मायावती को इंडिया गठबंधन में लाने का प्लान कामयाब होता तो निश्चित रुप से जातीय जनगणना के बाद सीएम  नीतीश का दूसरा सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक होगा.

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