पटना (PATNA) : 27 अक्टूबर को आठ साल पहले 2013 में पटना के गांधी मैदान में आतंकियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में बम फेंका था. उस समय नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे बल्कि प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी के लिए खड़े ही हुए थे. इसी मामले में ठीक आठ साल बाद पटना के स्पेशल कोर्ट ने इस बम धमाके में शामिल आरोपियों को दोषी करार दिया है.
इस मामले में एनआईए ने 11 लोगो को आरोपी बनाया था, जिसमें एक नाबालिग था. उसका ट्रायल जुबेनाइल कोर्ट में अभी चल रहा है. वहीं एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. इसमें बाकि बचे 9 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी माना है. कोर्ट इन सभी आरोपियों को 1 नवंबर को सजा सुनाएगी. जिन आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, उनमें हैदर अली, नोमान अंसारी, मो मुजीबुल्लाह अंसारी, उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन कुरैसी, अहमद हुसैन, मोहम्मद फिरोज आलम, मोहम्मद इफ्तिखार आलम व इम्तियाज अंसारी शामिल हैं. एनआईए ने इस मामले में वर्ष 2014 में आरोप पत्र दायर किया था. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने अपना मुकदमा साबित करने के लिए कुल 187 गवाहों को पेश किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली धमाके में हुई थी 10 लोगों की मौत
पटना के गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 को भाजपा की हुंकार रैली चल रही थी. इस रैली के मुख्य वक्ता तत्कालीन गुजरात के सीएम और आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे. इसी रैली को टारगेट करके आतंकियों ने इस घटना की साजिश रची थी और पटना स्टेशन से लेकर गांधी मैदान तक एक के बाद एक सीरियल धमाके किए थे. इसमें कुल 10 लोगों की मौत हो गयी थी और सैकड़ों लोग घायल हो गये थे. उस दिन पटना जंक्शन पर भी विस्फोट हुआ था. आतंकी की गलती से मानव बम जंक्शन के शौचालय में ही फट गया था. कहा गया था कि मानव बम द्वारा पीएम उम्मीदवार रहे वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी का वाहन उड़ाने की साजिश थी. इस घटना के बाद गांधी मैदान और पटना रेल थाने में केस दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में केस को एनआइए को सौंप दिया गया था. गौरतलब है कि विस्फोट के बाद भी नरेन्द्र मोदी ने रैली को संबोधित किया था.
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