TNP DESK- बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले डीजीपी का एक नया आदेश सभी जिलों के एसपी को पंहुचा दिया गया है. कहा गया है कि बिहार में अब आम नागरिकों की तरह ही जनप्रतिनिधियों ,विधायकों, सांसदों, मंत्रियों से जुड़े आपराधिक मामले की जांच तय समय सीमा के भीतर पूरी करनी होगी. मामलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिले के एसपी को दी गई है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ए डीआर ) 2025 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मामलों की संख्या अधिक है. चुनाव के पहले एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव की तैयारी करने वाले कई उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले है.
बताया गया है कि 45% से अधिक विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज है. इनमें से कई मामलों को आपराधिक श्रेणी में रखा गया है. दरअसल, राज्य के माननीय पर अधिकांश मामला राजनीतिक विरोध के दौरान प्रदर्शन, सरकारी काम में बाधा डालने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से संबंधित होते है. लेकिन अब उन पर भी दर्ज मुकदमे में कार्रवाई सामान्य तरीके से होगी. पुलिस मुख्यालय ने साफ कर दिया है कि माननीय के मामलों में जांच में जानबूझकर देरी करने वाले अनुसंधानकर्ताओं पर कार्रवाई होगी.
लापरवाह अधिकारियों पर एक्शन हो सकता है. डीजीपी ने सभी जिलों से ऐसे मामलों की सूची तलब की है. जिनमें जांच लंबे समय से लंबित है. खासकर वैसे मामले, जो माननीय से जुड़े है. जिनकी जांच की धीमी गति को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे है. डीजीपी ने सभी एसपी को निर्देश दिया है कि वह अपने-अपने जिलों के लंबित माननीय के खिलाफ मामलों की स्वयं मॉनिटरिंग करे. उन्हें हर सप्ताह इन मामलों के अपडेट स्थिति की रिपोर्टिंग पुलिस उप महान निरीक्षक को करनी होगी. डीआईजी को भी इन रिपोर्ट की समीक्षा कर मुख्यालय को अवगत कराने के लिए कहा गया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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