Bihar Politics: यह बिहार की राजनीति है, चुनाव की तैयारी के बीच सब कुछ आसानी से समझ लेना बहुत कठिन है. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बिहार चुनाव से पहले कई प्रयोग करने में जुट गए है. उनकी पार्टी ने तय किया है कि एनडीए में रहते हुए अलग से बिहार के लगभग सभी जिलों में बहुजन भीम संवाद नाम से कार्यक्रम आयोजित करेगी. राजनीतिक पंडित बताते हैं कि बहुजन भीम सम्मेलनों के जरिए चिराग पासवान विधानसभा चुनाव के पहले सहयोगी दलों को अपनी पार्टी की ताकत दिखाना और बताना चाहते है. इसका मकसद यह भी हो सकता है कि राज्य के 243 सीटों का बंटवारा होते वक्त उनकी पार्टी की मजबूती लोगों को दिखे.
क्या चिराग पासवान स्वतंत्र पहचान की दिशा में आगे बढ़ रहे
यह भी हो सकता है कि एनडीए में रहते हुए चिराग पासवान की पार्टी स्वतंत्र पहचान की दिशा में आगे बढ़ रही हो. चिराग पासवान की पार्टी के इस निर्णय का क्या मतलब हो सकता है? क्या असर पड़ सकता है ,यह जानने के लिए पटना से लेकर दिल्ली तक मंथन हो रहा है. कुछ दिन पहले तक बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए सामूहिक अभियान की बात कर रहा था. अब चिराग पासवान की लोजपा (आर) बहुजन भीम संवाद करने जा रही है. भाजपा भी निषाद समाज को एकजुट करने के लिए प्रमंडल सम्मेलन करने जा रही है. चाचा पशुपति कुमार पारस से विवाद के बाद चिराग पासवान 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले आधी से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे. इस वजह से नीतीश कुमार पार्टी का गेम नंबर बिगड़ गया था. इस बार भी क्या होगा, कहना अभी मुश्किल है.
2020 में एनडीए में भाजपा के साथ तीन नेताओं की पार्टियां थी
2020 में एनडीए में भाजपा के साथ तीन नेताओं की पार्टियां थी. नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी, इस बार एनडीए में अब तक की घोषणा के मुताबिक चिराग पासवान भी है. इधर, भाजपा और जदयू में अधिक से अधिक सीट पर लड़ने की कवायत चल रही है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि भाजपा और जदयू 100 -100 सीटों पर चुनाव लड़ सकते है. फिर तो केवल 43 सीट ही बचेंगी. उसमें कुशवाहा और जीतन राम मांझी के बाद चिराग पासवान के लिए जो सीट बच रही है, शायद चिराग पासवान के लिए वह मंजूर नहीं है. चर्चा तो यह भी है कि बहुजन भीम संवाद के जरिए चिराग पासवान भाजपा और जदयू को अप्रत्यक्ष रूप से सम्मानजनक हिस्सेदारी देने का मैसेज दे रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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