धनबाद(DHANBAD): बहरागोड़ा के झामुमो विधायक समीर मोहंती क्या कोल्हान में झामुमो के "टाइगर" होंगे. धनबाद पहुंची सूचना के अनुसार इसकी संभावना बढ़ गई है. पिछले साल चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन पर भरोसा किया था. रामदास सोरेन को चंपई सोरेन के विकल्प के रूप में कोल्हान में खड़ा करने की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोशिश शुरू कर दी थी. लेकिन अचानक बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया. फिर झामुमो को कोल्हान में एक भरोसे का विधायक चाहिए था.
कोल्हान में चंपई सोरेन का क्यों और कैसे विकल्प हो सकते है
जो कोल्हान में झामुमो का झंडा बुलंद कर सके और चंपई सोरेन की कमी को खत्म कर सके. इस बीच रामदास सोरेन के निधन के बाद घाटशिला में उपचुनाव की घोषणा हो गई. ऐसे में यह उपचुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रतिष्ठा से जुड़ गया. ऐसे में सूत्रों के अनुसार हेमंत सोरेन ने समीर मोहंती पर भरोसा किया और घाटशिला उपचुनाव की बागडोर उन्हें सौंप दी. यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार नजर बनाए रहे. घाटशिला उपचुनाव में रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन झामुमो के उम्मीदवार थे ,तो चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन भाजपा के उम्मीदवार थे. जेएलकेएम ने भी अपना प्रत्याशी दिया था. झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास चुनौती थी, कि जीत के अंतर को बढ़ाया जाए.
घाटशिला उपचुनाव में समीर मोहंती की रही बड़ी भूमिका
इसमें समीर मोहंती ने सटीक रणनीति तय की और जीत का अंतर 38000 से अधिक हो गया. जबकि 2024 में रामदास सोरेन सिर्फ 22000 वोट से जीते थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि समीर मोहंती कोल्हान के झारखंड मुक्ति मोर्चा का "टाइगर" हो सकते है. पार्टी उन पर भरोसा करेंगी और उस दिशा में वह आगे बढ़ चुके है. कोल्हान बेल्ट झामुमो के लिए महत्वपूर्ण है. सवाल तो यह भी किये जा रहे हैं कि क्या मंत्रिमंडल में कहीं ऐसा तो नहीं कि सोमेश सोरेन की जगह समीर मोहंती को मंत्री बना दिया जाए. हालांकि इसकी अभी कहीं से कोई पुष्टि नहीं हो रही है. रामदास सोरेन के निधन के बाद मंत्री पद अभी भी खाली है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोल्हान में ताकतवर नेता की भी जरूरत है. ऐसे में आगे क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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