टीएनपी डेस्क (TNP DESK): मंईयां सम्मान योजना हेमंत सोरेन सरकार की विधानसभा चुनाव की जीत की एक बड़ी बुनियादी के तौर पर सामने आई. 18 से 50 साल की महिलाओं को हर महीने ढाई हजार रुपए की राशि एक मदद के तौर पर मिलती है. इस इमादद से गरीबों, मजलूमों और वंचित परिवार के लिए सिर्फ एक सहारा ही नहीं मिला, बल्कि हर महीने एक छोटी ही सही पर एक रकम का आसरा तो जगा. हालांकि, कई दफा कुछ,-कुछ वजहों से इसकी मासिक किस्ते लड़खड़ाती हुई दिखी. लेकिन राज्य सरकार ने एकमुश्त रकम देकर अपनी मंशा साफ कर दी . आज सूबे की हेमंत सरकार कई शहरों में बड़े-बड़े हार्डिंग्स लगाकार मंईय़ां सम्मान योजना के बारे में बताने के साथ-साथ अपना महिमामंडन भी कर रही है.
चंद पैसे पर ही कईयों की नजर
बेशक ये मामूली पैसे हों, लेकिन राज्य सरकार के लिए हर महीने देना एक बहुत बड़ी रकम अपने खजाने से हैं. अभी तक ये बेधड़क और बेझिझक चल रही है. कुछ खटपटे और दिक्कते आई लेकिन देर-सवेर एक साथ पूरा पैसा मिल ही जाता है.लिहाजा, हेमंत सरकार की नियत पर अभी तक तो सवाल नहीं उठाया जा सकता.
झारखंड सरकार को पैसे देने से ज्यादा उलझन इस चिज़ की हो रही की कैसे सही लोगों को इसका लाभ मिले. क्योंकि लगातार गड़बड़झाले औऱ ठगी की शिकायते मिल रही हैं. दलाल, बाबुओं और छूट भैया नेताओं ने तो इसके जरिए अपनी दलाली की दुकानें खोल ली है. कईयों ने तो बगैर अहर्ता के ही रकम लेकर सरकारी पैसे को चूना लगाया, तो कई वाजिब हकदार आज भी वंचित है औऱ बाबूओं और दफ्तरों के चक्कर काटने में ही दिन कट रहा है.
गड़बड़ी और शिकायतों का अंबार
अभी-अभी जमशेदपुर के पोटका प्रखंड में ही मुस्लिम महिलाओं के नाम पर पैसा निकाले जाने की खबर सामने आई. जबकि जांच में पाया गया कि वहां मुस्लिम परिवार रहता ही नहीं था. इस दरमियान जमशेदपुर में ही ऐसे ही योजना का लाभ लेने वाले 2912 खाते चिन्हित किए गए, जिनमे दो या दो से अधिक नामों से पैसा लाभार्थियों ने उठाया.
इसमे तो कोई शक नहीं कि कईयों ने इसका बेमतलब फायदा उठाया, राज्य सरकार ने सिलसिलेवार ढंग से इसकी जांच की और उन लोगों की छंटनी की जो फर्जी तरीके से पैसा लेकर सरकारी पैसे पर मौज कर रहे थे. अभी भी ऐसे कई फर्जी लोगो फायदा ले रहे हैं, जिन्हें पकड़ने और हटाने की प्रक्रिया चल रही है.
लाख से अधिक लाभुकों का नाम हटा
जांच और सत्यापन प्रक्रिया में इतनी पेचिदगिंया और गलतियां सामने आई कि एक दो नहीं बल्कि लाखों लाभुक अपात्र पाये गये, जिनकों योजना की सूची से हटाने का फैसला लिया गया. ढाई लाख लभार्थियों को अपात्र घोषित किया गया, क्योंकि ये सभी इसके मानक को पूरा नहीं कर पा रहे थे. ये पाया गया कि इनलोगों ने अपने दस्तावेज नहीं जमा कराये थे और न ही बैंक खाते को आधार से ही लिंक किया था. इसलिए अप्रैल और मई महीने की किस्त इन्हें नहीं दी जाएगी. माना जा रहा है कि सत्यापान की ये क्रम आने वाले समय में सख्त और पारदर्शी होगी, ताकि किसी को भी इसे लेकर दुविधा नहीं हो. अभी 54 लाख महिलाएं मंईयां सम्मान योजना का फायदा उठा रही हैं.
हेमंत सरकार के लिए चुनौती
अभी प्रदेश में अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी चिज की है, तो लाजमी तौर पर मंईयां सम्मान की मिलने वाली राशि की है. शहर से लेकर गांव तक में चर्चा सुनने को मिलती है. बीच-बीच में इसकी किस्तें लड़खड़ाने यानि नहीं मिलने से लाभुकों के चेहरे पर मायूसी और सरकार के प्रति गुस्सा गहरा जाता है.
अगर देखे तो सरकार के लिए मंईयां योजना के पैसे को जुगाड़ करना और हकदार व्यक्ति को देना. दोनों ही एक चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि ढाई हजार रुपए की रकम हर महीने 54 लाख महिलाओं को मुफ्त में देना कोई बच्चों का खेल नहीं, बल्कि बहुत बड़ा पैसा है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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