रांची(RANCHI): झारखंड की एक मात्र सीट घाटशिला में उपचुनाव का प्रचार प्रसार थम गया. मंगलवार को सुबह आठ बजे से मतदान होना है. घाटशिला के रण में 13 प्रत्याशी मैदान में है. लेकिन सीधी टक्कर भाजपा के बाबूलाल सोरेन और झामुमो के सोमेश के बीच है. चुनाव प्रचार के आखरी दिन सभी राजनीति दल ने पूरी ताकत झोंक दिया. लेकिन आखरी समय में पूरे घाटशिला में चंपाई सोरेन की चर्चा शुरू हो गई. प्रचार के आखरी समय में सीएम हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन को बैल बोल दिया लेकिन इसका माहौल उल्टा पड़ गया.
अब बैल वाले बयान पर घाटशिला में चर्चा शुरू है. चंपाई सोरेन एक बड़ा कद कोल्हान में रखते है. झारखंड आंदोलन के समय से घाटशिला ही नहीं बल्कि पूरे कोल्हान क्षेत्र को बरीखी से समझते और जानते है. राजनीति भी इसी कोल्हान से शुरू किया. शुरुआत से झामुमो को साथ लेकर चले गुरु जी के साथ कंधा से कंधा मिला कर हर आंदोलन को सफल बनाया. लेकिन आखिर में 2024 के चुनाव में भाजपा में शामिल हो गए.
भाजपा में शामिल होने के बाद चंपाई सोरेन ने अपनी सीट को बचा लिया. इसके बाद यह साफ हुआ कि चंपाई सोरेन का प्रभाव खुद का है ना की किसी दल के दम पर वह अपनी राजनीति कर रहे है. हलाकी चंपाई अपने बेटे को जीत नहीं दिला सके थे. 22 हजार वोट से चुनाव में हार मिली. और अब फिर उपचुनाव में चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन मैदान में है. इस बार के चुनाव में चंपाई सोरेन खुद मैदान में डटे हुए है. हर जगह खुद कैम्पेन कर जनता को अपनी ओर खींच रहे है.
लेकिन चुनाव के आखरी समय में हेमंत सोरेन ने मंच से बाबूलाल सोरेन को बैल बोल दिया. इसके बाद चंपाई खुद भावुक हुए और उनके आँख से आँसू निकल गए. चंपाई सोरेन प्रेस वार्ता के दौरान रो गए. जिससे एक मैसेज सही नहीं गया. झामुमो के पुराने कई साथी इस समय चंपाई सोरेन के समर्थन में दिखे है. हलाकी कोई सामने नहीं आया. लेकिन झारखंड आंदोलन के समय के साथी चंपाई सोरेन के साथ खड़े हो गए है. यहां पर बैल बोलना झामुमो के लिए थोड़ा नुकसान पहुंचाने जैसा हो गया.
हालांकि चुनाव में आखरी समय में क्या होता है. यह परिणाम के बाद सामने आएगा. फिलहाल अभी सभी दल के प्रत्याशी खुद के जीत के दावे कर रहे है. सभी अपने अपने तरीके से अब डोर टू डोर पहुंच कर सीधा संवाद करने में लगे है.

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