धनबाद(DHANBAD): थानों के मालखाना का प्रभार लेने में पहले भी किचकिच होती थी, आज भी किचकिच होती है. मलखाना प्रभारी का जब ट्रांसफर होता है, तो नए अधिकारी प्रभार ग्रहण करने में विलंब करते है. कभी काम के लोड का बहाना बनाकर, तो कभी मालखान के सामानों के मिलान की बात कहकर चार्ज लेने में आनाकानी की जाती है. पुलिस मुख्यालय को भी इसकी जानकारी है. पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर कहा है कि थाना प्रभारी को मलखाना का प्रभार स्वयं लेना होगा. दूसरे को चार्ज नहीं देना होगा. आदेश में कहा गया है कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि कई जिलों के थाना प्रभारी इस आदेश का पालन नहीं कर रहे है.
नए आदेश के बाद थाना प्रभारी को लेना होगा चार्ज
वह प्रभार लेने के बजाय अपने जूनियर अफसर को मलखाना का जिम्मा सौंप दे रहे है. जो कि नियम का उल्लंघन है. सूत्र बताते हैं कि पहले झारखंड पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जिन थानों की जिम्मेवारी पुलिस इंस्पेक्टर के पास है, वहां थाना प्रभारी को मलखाना के काम में मदद के लिए एक जूनियर सब इंस्पेक्टर को रखा जा सकता है. लेकिन सूत्र बताते है कि पुलिस मुख्यालय ने अब अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि हर थाने का थाना प्रभारी ही मलखाना का असली प्रभारी होंगे . अगर किसी थाना प्रभारी का ट्रांसफर हो जाता है तो नए थाना प्रभारी को तुरंत जिम्मेवारी लेनी होगी. नए आदेश का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है.
क्यों पुलिस अधिकारी चार्ज लेने से करते हैं आनाकानी
आईए जानते हैं कि क्या होता है मलखाना और क्यों पुलिस अधिकारी इसके चार्ज लेने में आनाकानी करते है. मलखाना का मतलब होता है ,वह जगह जहां पुलिस द्वारा जब्त सामान रखे जाते है. इसे भंडारगृह भी कहा जा सकता है. मलखाना शब्द अरबी और फारसी भाषा से आता है. जब पुलिस किसी भी मामले में किसी सामान जैसे हथियार, पैसा ,ड्रग्स आदि बरामद करती है तो उसकी एंट्री थाने के मालखाना डायरी में की जाती है. फिर यह बरामद सामान सरकारी संपत्ति की तरह माना जाने लगता है. उसे केस प्रॉपर्टी भी कहा जाता है. बहुत जगह मलखाना रजिस्टर अपडेट नहीं रहते है. इस वजह से पुलिस अधिकारी चार्ज लेने से भरसक परहेज करते है. लेकिन अब तो झारखंड पुलिस मुख्यालय का आदेश आ गया है. ऐसे में सभी थानेदारों को मालखाने का चार्ज लेना पड़ेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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