दुमका (DUMKA) : 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर हूल विद्रोह के नायक सिदो कान्हू, चांद भैरव और फूलो झानो की जन्म स्थली साहिबगंज के भोगनाडीह में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होता है. भोगनाडीह में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पदयात्रियों का जत्था गुरुवार को दुमका शहर के सिदो कान्हू चौक से भोगनाडीह के लिए रवाना हुए. जामा विधायक डॉ लुईस मरांडी, SKMU की कुलपति प्रो कुनूल कंदीर, एसपी पीतांबर सिंह खेरवार ने हरी झंड़ी दिखाकर पदयात्रियों को रवाना किया. गोटा भारोत सीदो कान्हु हूल वैसी, जोहर मानव संसाधन विकास केंद्र, अनुसूचित जाति जनजाति रक्षा समिति, होली फेथ और प्रेम संस्था के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ. पदयात्रा का उद्देश्य लोगों को हूल विद्रोह के नायक सिदो, कान्हु, चांद, भैरव, फूलो और झानो सहित हजारों बलिदानियों को स्मरण करते हुए उन सभी वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है.
ऐतिहासिक है 30 जून, जब ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संताल आदिवासी ने विद्रोह का झंडा उठाया था
अपने संबोधन में जामा विधायक डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि यह कार्यक्रम 2005 से आयोजित हो रहा है. प्रत्येक वर्ष 26 जून को दुमका के सिदो कान्हू चौक से पदयात्री रवाना होते है जो 30 जून को हूल दिवस पर भोगनाडीह पहुंच कर हूल विद्रोह के नायक को नमन करते है. उन्होंने कहा कि 30 जून ऐतिहासिक दिन है क्योंकि 30 जून 1855 को संताल आदिवासी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाया था. सिदो, कान्हू, चांद, भैरव और फूलो, झानो के नेतृत्व में हुए इस विद्रोह को संताल हूल के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान पदयात्री न केवल सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को देते है बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करते है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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