भोजपुर(BHOJPUR): भारतीय समाज में विवाह को अब भी एक पवित्र बंधन माना जाता है, लेकिन बदलते सामाजिक परिदृश्य में अब रिश्तों की परिभाषाएं भी बदल रही है. भोजपुर जिले से आयी एक घटना ने इसी सोच को चुनौती दी है. यह मामला सिर्फ प्रेम या विवाह का नहीं, बल्कि समाज, कानून, परंपरा और अधिकारों के टकराव का आईना भी बन गया है.
पढ़े क्या है पूरा मामला
मामला भोजपुर जिले के मुफस्सिल थाना अंतर्गत रागुटोला का है, जहां 14 वर्षीय नाबालिग अंजली कुमारी ने 18 वर्षीय चांदनी कुमारी उर्फ भोलन के साथ घर से भागकर गुजरात के राजकोट में एक मंदिर में विवाह कर लिया.इसके बाद दोनों दिल्ली पहुंची, जहां चांदनी पहले से अपनी बहन के साथ कुछ समय रही थी.चांदनी की बहन के एक परिचित ने जब दोनों को देखा तो परिजनों को सूचना दी और फिर परिजन दोनों को पकड़कर आरा नगर थाना ले आए.
युवतियों का कराया गया मेडिकल जांच
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों युवतियों का मेडिकल परीक्षण कराया और फिर उन्हें भोजपुर की बाल संरक्षण इकाई को सौंप दिया. हालांकि, अब तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और बाल संरक्षण इकाई भी पूरी जानकारी साझा करने से बच रही है.घटना के बाद दोनों के परिजनों में तनाव का माहौल बन गया.
पढ़े नाबालिक बच्ची की मां ने क्या कहा
अंजली की मां ने आरोप लगाया कि चांदनी एक नशे की लत से ग्रस्त युवती है और उसकी संगति से उनकी बेटी भटक गई है.वहीं दोनों युवतियां स्पष्ट तौर पर एक-दूसरे के साथ रहने की जिद पर अड़ी हुई है और किसी भी सूरत में अलग नहीं होना चाहती.बाल संरक्षण इकाई द्वारा काउंसलिंग के बाद दोनों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है, लेकिन यह मामला समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. क्या भारतीय समाज समलैंगिक रिश्तों को स्वीकारने के लिए तैयार है? क्या नाबालिग के अधिकारों की रक्षा हो रही है या उन्हें दबाया जा रहा है?
राज्य में हो रही है मामले की चर्चा
इस घटना ने भोजपुर में ही नहीं, पूरे राज्य में बहस को जन्म दे दिया है.एक ओर यह मामला नाबालिग लड़की से जुड़ा होने के कारण बाल अधिकारों का सवाल बन जाता है, तो दूसरी ओर समलैंगिक विवाह जैसे संवेदनशील विषय को भी सामने लाता है, जिसे आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग स्वीकार नहीं कर पा रहा.
पढ़े क्या कहता है कोर्ट
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है, लेकिन समलैंगिक विवाह को अभी कानूनी मान्यता नहीं मिली है.ऐसे में यह प्रकरण न सिर्फ सामाजिक, बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी जटिल बन जाता है.
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