धनबाद(DHANBAD) धनबाद के शहीद निर्मल मेडिकल कॉलेज (एसएनएमएमसीएच) पुराना नाम पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल PMCH) में एमबीबीएस नामांकन की सीटें चूं चूं का मुरब्बा बन गई है. काफी हाथ -पैर मारने के बाद भी सत्र 2021-22 के लिए सीटें नहीं बढ़ी, अब इस सत्र में भी 50 सीटों पर ही नामांकन होगा. झारखंड सरकार और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने एनएमसी(नेशनल मेडिकल कमिशन ) से 100 सीटों पर नामांकन की अनुमति मांगी थी लेकिन उसे 50 सीट पर ही अनुमति मिली है. मेडिकल कॉलेज की अपडेट व्यवस्था देखने के लिए एनएमसी की टीम मेडिकल कॉलेज आने वाली थी लेकिन किसी वजह से टीम नहीं आ पाई.
एनएमसी के शर्तो को पूरा नहीं कर रहा कॉलेज
बता दें कि मेडिकल कॉलेज की सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर 100 करने के लिए एनएमसी ने कुछ शर्तें रखी थी. शर्तें थीं कि 6 महीने के अंदर शिक्षकों की कमी पूरी कर ली जाए, जबकि अन्य संसाधनों को एक साल के अंदर पूरा कर लिया जाए. जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में अभी भी 22% शिक्षकों की कमी है. अभी मेडिकल कॉलेज में पीडियाट्रिक ,साइकेट्रिक, बायोकेमिस्ट्री ,माइक्रोबायोलॉजी, रेडियोलॉजी, फिजियोलॉजी आदि विभाग में प्रोफेसर नहीं है. कई विभाग में तो एसोसिएट प्रोफेसर ,असिस्टेंट प्रोफेसर तक नहीं है.
पांच सत्रों से केवल 50 सीटों पर ही हो रहा एडमिशन
अब यहां सवाल उठता है कि मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़े इसके लिए सरकार के स्तर से कोशिश क्यों नहीं की जा रही है. पिछले 5 सत्रों से 50 सीट पर ही नामांकन हो रहा है. अगर पांच सत्रों में 100 सीटों पर नामांकन होता तो ढाई सौ बच्चे झारखंड से डॉक्टर बन गए होते. सरकार डॉक्टरों की कमी की रोना तो रोती है लेकिन डॉक्टरों की संख्या कैसे बढ़े, इस पर कोई कदम नहीं उठाती तो क्या मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए भी पक्ष या विपक्ष के लोगों के आंदोलन का सरकार इंतजार कर रही है. यह धनबाद के साथ बहुत बड़ा नाइंसाफी है, आखिर धनबाद कब तक अपनी हकमारी झेलता रहेगा.
धनबाद की हकमारी का हाल
धनबाद की हकमारी का हाल यह है कि पिछली रघुवर सरकार में दुमका और हजारीबाग में मेडिकल कॉलेज खोले गए थे. वहां के संसाधन धनबाद के मेडिकल कॉलेज से बहुत कम है फिर भी वहां नामांकन के लिए एक सौ सीटों की मंजूरी मिली हुई है. जबकि बहुत हद तक संसाधनों से परिपूर्ण धनबाद को 50 सीटों पर ही नामांकन की मंजूरी लगातार मिल रही है.
क्या कहते है कॉलेज के प्राचार्य
कॉलेज के प्राचार्य ज्योति रंजन प्रसाद का कहना है कि कॉलेज में इतने संसाधन तो जरूर हैं की 100 से 150 बच्चों को पढ़ाया जा सके, फिर भी न जाने क्यों एक सौ सीटों पर मंजूरी नहीं मिल रही है. संभव है सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही होगी.
अधीक्षक अरुण वर्णवाल का कहना है
अधीक्षक अरुण वर्णवाल तो कहते हैं कि 100 क्या 200 बच्चों को हम मेडिकल कॉलेज में पढ़ा सकते है. उन लोगों ने धनबाद के सांसद पीएन सिंह और राज्य सरकार से भी गुहार लगाया है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और सीटों की संख्या बढ़ाने में मदद करे. बता दें कि एनएमसी केंद्र की संस्था है, ऐसे में झारखंड के साथ धनबाद की हकमारी अगर हो रही है तो झारखंड के दर्जनभर भाजपा सांसदों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती है. अब देखना है इस मुद्दे को लेकर धरना कौन देता है.
रिपोर्ट: अभिषेक कुमार सिंह, ब्यूरो हेड, धनबाद
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