रांची ( RANCHI) : राज्यसभा सीट को लेकर झारखंड सरकार में शामिल गठबंधन की दोनों पार्टियां झामुमो और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है. इसी खींचतान को खत्म करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीएम हेमंत सोरेन को दिल्ली बुलाया था. सीएम कल यानि शनिवार रात ही दिल्ली के लिए निकल चुके थे, जहां सोनिया गांधी के साथ उन्होंने मुलाकात की. दोनों की मुलाकात में क्या निर्णय हुआ, इसके बारे में अभी कोई आधिकारिक जानकारी तो नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो दोनों के बीच राज्यसभा के लिए झामुमो के प्रत्याशी पर सहमति बन गई है. इसके साथ ही खबर है कि मांडर विधानसभा के लिए होने वाले वाले उपचुनाव में कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगा, जिसे झामुमो समर्थन देगा.
राज्यसभा के लिए पहले दोनों पार्टियों ने ठोका था अपना दावा
बता दें कि राज्यसभा चुनाव के लिए खींचतान की शुरुआत तब हुई, जब उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर से लौटते ही प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा था कि इस बार राज्यसभा के लिए कांग्रेस से ही किसी को मौका मिलना चाहिए. इसके बाद तरह-तरह के अटकलें आने लगी. राज्य विधानसभा में संख्या बल में सबसे बड़ी पार्टी झामुमो भी कहां चुप बैठने वाली थी. कल यानि शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पर शिबू सोरेन की अध्यक्षता में विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक के बाद झामुमो ने ऐलान किया कि राज्यसभा में झामुमो अपना प्रत्याशी उतारेगा. इसके बाद लग रहा था कि इस फैसले का गठबंधन पर कहीं कोई असर ना पड़े. क्योंकि, पिछले राज्यसभा चुनाव में झामुमो की ओर से शिबू सोरेन राज्यसभा पहुंचे थे. मगर, तब भी कांग्रेस ने शहजाद अनवर के रूप में अपना प्रत्याशी उतारा था, जो चुनाव हार गये थे. विधानसभा में अगर संख्या बल की बात करें तो सबसे ज्यादा 30 विधायक झामुमो के पास हैं, इससे उसका पलड़ा भारी है. वहीं कांग्रेस के पास पहले 16 विधायक थे. मगर, मांडर विधायक बंधु तिर्की की विधायकी जाने के बाद अब कांग्रेस के पास 15 ही विधायक हैं. इसलिए हेमंत सोरेन और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात में मांडर विधानसभा सीट इतना मायने रखता था.
पिछले बार मांडर विधानसभा में क्या था राजनीतिक समीकरण?
2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बंधु तिर्की मांडर सीट से विजयी हुए थे. मगर, उन्होंने तब ये सीट झारखंड विकास मोर्चा(झाविमो) के टिकट पर जीता था. बाद में उन्होंने पार्टी बदल ली और वे कांग्रेस में शामिल हो गये. पिछली बार की बात करें तो बंधु तिर्की को सबसे ज्यादा 92,491 वोट मिले थे और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी देव कुमार धन को 23,127 वोट से हराया था. अब जबकि इस सीट पर उपचुनाव होने वाला है और गठबंधन की तरफ से कांग्रेस को ये सीट दिए जाने की खबर है, तो ऐसे में पिछले चुनाव में गठबंधन की क्या स्थिति थी, ईसे भी जानना जरूरी है. 2019 विधानसभा में जब झाविमो के टिकट पर बंधु तिर्की विधायक बने थे, उस चुनाव में भी गठबंधन की ओर से कांग्रेस का प्रत्याशी मैदान में था. कांग्रेस की ओर से सनी टोप्पो चुनाव मैदान में थे, जिसे झामुमो भी समर्थन दे रहा था. बावजूद इसके उन्हें मात्र 8.840 वोट ही मिले और कांग्रेस या यूं कहे तो गठबंधन पांचवे स्थान पर रही थी. अब फिर से कांग्रेस अपना प्रत्याशी मांडर में उतारने वाला है और झामुमो उसे फिर से समर्थन देने वाला है. मगर, बंधु की जगह मांडर में कौन ले पाएगा ये भी एक बड़ा सवाल है. क्योंकि कांग्रेस बिन बंधु के पिछले चुनाव में अपनी स्थिति देख चुकी है.
फिलहाल, राज्यसभा और मांडर विधानसभा के लिए जो खींचतान गठबंधन में चलती आ रही थी, वो तो सुलझती हुई नजर आ रही हैं. झामुमो के लिए राज्यसभा की एक सीट जीतना भी आसान है, क्योंकि उसके पास संख्या बल है. मगर, मांडर विधानसभा कांग्रेस का साथ देती है या नहीं, इस पर सवाल जरूर है.
इस मामले में झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि राज्यसभा में झामुमो का ही प्रत्याशी होगा और मांडर विधानसभा में कांग्रेस के प्रत्याशी का समर्थन करेगी, जिस पर दोनों दलों में सहमति बन गई है.

Recent Comments