पलामू(PALAMU):

प्रतिभा को जब परिश्रम और आत्मविश्वास का बल मिल जाए तो मंजिल हासिल करना आसान होता है.  ज़िद जब अच्छे मकसद के लिए हो तो कामयाब होने में कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती. इसी को सच कर दिखाया है पलामू जिले के सौरभ ने. सौरभ ने कम संसाधन में ही यूपीएससी में पहली बार में सफलता पा ली है. लेकिन इस सफर में सबसे बड़ा हाथ उनकी बहन साक्षी का है.      

पांडू के सौरभ कुमार पांडेय ने यूपीएससी की परीक्षा में पहली बार सफलता हासिल कर अपनी प्रतिभा का न सिर्फ एहसास कराया बल्कि गांव, प्रखंड, जिले और सूबे का नाम रौशन कर दिया.  उनकी इस सफलता पर पूरा परिवार खुश है.  सौरभ पांडेय ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में अगर कोई आगे बढ़ना चाहता है तो रिसोर्स की कमी उसे कभी आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता.

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पिता की मौत के बाद दिल्ली से पढ़ाई छोड़ वापस गांव लौटा परिवार

सौरभ ने बताया कि उनकी प्रारभिंक शिक्षा दिल्ली  के एक स्कूल में शुरू हुई थी.  इनके पिता दिलीप पांडेय अपने सभी परिवार के साथ दिल्ली में रहकर प्राइवेट जॉब करते थे.  इसी बीच उनकी असमय मौत 2011 में कैंसर नामक प्राणघातक बीमारी की चपेट में आने के कारण हो गयी.  पिता की असामयिक मौत से पूरा परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूट गया.   जिसके कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़कर सौरभ को अपने पैतृक गांव(पांडू) आना पड़ गया.  तब बीमारी की विभीषिका से जूझ रहे  परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक हो गयी थी.  

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सौरभ की बहन ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया

सौरभ की  बड़ी बहन साक्षी ने तब काफी हिम्मत दिखाई.  उसने परिवार की स्थिति को काबू में करने के लिए जीतोड़ परिश्रम करना शुरू कर दिया.  ट्यूशन कराकर भाई सौरभ की पढ़ाई शुरू कराई.  विश्रामपुर के आरसीआईटी परिसर में संचालित भागमनी चंद्रवंशी पब्लिक स्कूल से वर्ष 2015 में 90 फीसदी अंक लाकर सौरभ मैट्रिक की परीक्षा पास की.  मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने पांडू कल्याण उच्च विद्यालय से 70 फीसदी अंक लाकर 12 वीं की परीक्षा पास कर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में जाकर दाखिला लिया.  उन्होंने वहां से पॉलिटिकल साइंस (प्रतिष्ठा)  प्रथम श्रेणी से पास कर  वहीं आईएएस की तैयारी में जुट गए.   

पहली बार में मिली सफलता

सौरभ ने बताया कि उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होकर सफलता हासिल की है.  इस सफलता का श्रेय वह अपनी बड़ी  बहन साक्षी को  देते हैं.  साक्षी ने गांव में ही कोचिंग चलाकर न सिर्फ परिवार की स्थिति को काबू में किया बल्कि छोटे भाई सौरभ को भी आईएएस बनाने में अहम भूमिका निभाई.  साक्षी के ब्लूमिंग माइंड कोचिंग सेंटर में अभी करीब 300 से ऊपर छात्र- छात्राएं अध्यनरत  हैं.  सौरभ की इस सफलता पर पूरा परिवार ही नही बल्कि पासपड़ोस एवं जिले के शुभचिंतकों में खुशी है.

रिपोर्ट: जफ़र हुसैन, पलामू