रांची(RANCHI) तमाम प्रयासों के बावजूद राज्य में पलायन, विस्थापन और मानव तस्करी पर रोक नहीं लग सकी है. इसकी शिकार सबसे अधिक आदिवासी समाज की बेटियां होती हैं ताजा खबर है कि मानव तस्करी की शिकार झारखंड के खूंटी जिले की 7 बच्चियों एवं गिरिडीह जिले के 3 बच्चियों को दिल्ली में मुक्त कराया गया है. ऐसा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की सार्थक पहल पर ही संभव हुआ है.

मुक्त बच्चियाँ खूंटी एवं गिरिडीह जिले की

मुक्त बच्चियाँ खूंटी एवं गिरिडीह जिले की हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ए डोडे ने सभी जिले को सख्त निर्देश दिया है कि दिल्ली में रेस्क्यू बच्चों को जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी अपने जिले में पुनर्वासित करें. इसी कड़ी में गिरीडीह जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेम्बम एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी अहमद अली ने पहल करते हुए दिल्ली में रेस्क्यू कर गिरिडीह के 3 बच्चियों को एवं खूटी के 7 बच्चियों को दिल्ली से स्कॉट किया.इन बच्चियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि यह सभी बच्चियाँ पुनः मानव तस्करी का शिकार न बनने पाए.

मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है और त्वरित कार्यवाही पर विश्वास रखती है. यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास सह-संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है, जिसकी नोडल ऑफिसर नचिकेता की अगुवाई में मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त कराकर वापस उन्हें झारखंड के उनके जिले में पुनर्वास करने का कार्य किया जा रहा है.

मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी

समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को संबंधित जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन बच्चियों को को पुन: मानव तस्करी के शिकार होने से से बचाया जा सके एवं झारखण्ड राज्य में मानव तस्करी रोकी जा सके.एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के  परामर्शी  निर्मला खालखो  राहुल सिंह ने बहुत अहम भूमिका निभाई है.